नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड
काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड को शुक्रवार को संसद में विश्वास मत हासिल करना था, जिसमें वो असफल रहे। पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली पार्टी सीपीएन-यूएमएल यानी कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी ने नेपाली कांग्रेस के साथ सरकार बनाने का एलान किया है। प्रचंड सरकार के विश्वास मत हासिल न कर पाने के बाद ओली के नेतृत्व में नई गठबंधन सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया।
पूर्व प्रधानमंत्री ओली वाली पार्टी सीपीएन-यूएमएल ने पिछले सप्ताह प्रचंड सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद नेपाली कांग्रेस के साथ मिलकर नई सरकार बनाने का समझौता किया। खबर है कि ओली और नेपाली कांग्रेस नेता शेर बहादुर देउबा बारी-बारी से यानी डेढ़-डेढ़ साल के लिए प्रधानमंत्री का पद संभालेंगे।
ओली ने सरकार बनाने का पेश किया दावा
केपी शर्मा ओली ने शुक्रवार को प्रचंड सरकार गिरने के बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के सामने 165 सांसदों के समर्थन से नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। इन सांसदों में उनकी पार्टी के 77 सांसद हैं। जबकी नेपाली कांग्रेस के 88 सांसद शामिल हैं। इसके साथ ही इस गठबंधन सरकार को कुछ अन्य छोटी पार्टियों का भी समर्थन मिला है।
बता दें कि नेपाल 275 सदस्यीय संसद वाला देश है। नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के चेयरमैन पुष्प कमल दहल प्रचंड को 275 सदस्यीय संसद में विश्वास मत प्रस्ताव पर महज 63 मत मिले। जबकि विश्वास मत जीतने के लिए कम से कम 138 मतों की जरूरत थी। 194 वोट प्रस्ताव के खिलाफ पड़े।
चार बार विश्वास मत का सामना करना पड़ा
प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड का ये कार्यकाल चुनौतियों से भरा रहा। प्रचंड ने 25 दिसंबर, 2022 को प्रधानमंत्री का पद संभाला था। तब से अब तक प्रचंड को अब तक चार बार विश्वास मत का सामना करना पड़ चुका है।
ओली को दउबा ने दिया समर्थन
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा पहले ही ओली को अगले प्रधानमंत्री के रूप में समर्थन दे चुके हैं। नेपाली कांग्रेस के पास संसद में 89 सीटें हैं। जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं। अगर दोनों दलों की सीटों को मिला दें तो यह आंकड़ा 167 पहुंचेगा। हालांकि बहुमत के लिए 138 सीटों की जरूरत होती है।