विदेश मंत्रालय (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : हाल ही में कथित तौर पर कुछ भारतीय कंपनियों के रूस के सैन्य-औद्योगिक प्रतिष्ठान के समर्थन की बात सामने आयी है। जिसको लेकर अमेरिका की सरकार एक्शन मोड पर है। इसी कड़ी में अमेरिका की सरकार के द्वारा कुछ भारतीय कंपनियों को बैन करने की खबर सामने आ रही है। इस मुद्दे पर भारत के विदेश मंत्रालय ने भी अपना पक्ष रखने की बात कही है। शनिवार को विदेश मंत्रालय ने कहा है कि नई दिल्ली से ही विदेश मंत्रालय इन मुद्दों पर स्पष्टीकरण देने के लिए वॉशिंगटन से संपर्क में है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने वीकली प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल के जवाब में यह भी कहा कि भारत के पास रणनीतिक व्यापार और अप्रसार कंट्रोल पर मजबूत कानूनी एवं नियामक ढांचा है। उन्होंने कहा है कि हम 3 प्रमुख बहुपक्षीय अप्रसार एक्सपोर्ट कंट्रोल व्यवस्थाओं के भी सदस्य हैं।
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जायसवाल ने कहा है कि भारत की स्थापित अप्रसार क्रेडिट को ध्यान में रखते हुए हम सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों के साथ भारतीय कंपनियों को लागू एक्सपोर्ट कंट्रोल प्रावधानों के बारे में संवेदनशील बनाने के लिए काम कर रहे हैं तथा उन्हें लागू किए जा रहे नए उपायों के बारे में भी सूचित कर रहे हैं, जो कुछ परिस्थितियों में भारतीय कंपनियों को प्रभावित कर सकते हैं।
अमेरिका ने रूस के सैन्य-औद्योगिक प्रतिष्ठान का कथित तौर पर समर्थन करने को लेकर 275 व्यक्तियों और कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है, जिनमें 15 भारत से हैं। अमेरिकी वित्त विभाग ने गुरूवार को एक बयान में कहा कि रूस को एडवांस टेक्नोलॉजी और उपकरणों की आपूर्ति करने के चलते चीन, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड और तुर्किये की कंपनियों पर भी बैन लगाया गया है।
बयान में कहा गया कि ग्लोबल चोरी नेटवर्क को बाधित करने के अलावा यह कार्रवाई घरेलू रूसी इंपोर्टर्स और रूस के सैन्य-औद्योगिक आधार के लिए प्रमुख वस्तुओं एवं अन्य सामग्री के उत्पादकों को भी लक्षित करती है। जायसवाल ने शनिवार को कहा है कि हमने अमेरिकी बैन से संबंधित रिपोर्ट देखी हैं। उन्होंने कहा है कि हम मुद्दों को साफ करने के लिए अमेरिकी ऑफिसर के भी संपर्क में हैं।”
(एजेंसी इनपुट के साथ)