सऊदी अरब ने कफाला सिस्टम किया बंद (सोर्स- सोशल मीडिया)
Saudi Government End Kafala System: सऊदी अरब सरकार ने 70 साल पुराना कफाला सिस्टम खत्म कर दिया है, जिससे विदेशी मजदूरों को बड़ी राहत मिलेगी। अब उनके पासपोर्ट नियोक्ता द्वारा जब्त नहीं किए जा सकेंगे, और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए नए नियम लागू किए गए हैं। यह बदलाव जून 2025 में घोषित किया गया था और इससे 1.3 करोड़ से अधिक विदेशी मजदूरों को फायदा होगा।
कफाला सिस्टम 1950 के दशक में खाड़ी देशों में तेल उद्योग के बढ़ने के बाद लागू किया गया था। इन देशों में स्थानीय मजदूरों की कमी थी, तो विदेशी मजदूरों को लाने के लिए यह सिस्टम बनाया गया। इस व्यवस्था के तहत, कफील यानी स्पॉन्सर को मजदूरों के काम, वेतन और रहने का पूरा नियंत्रण होता था। कफील की अनुमति के बिना मजदूर न तो नौकरी बदल सकते थे, न देश छोड़ सकते थे, और न ही अधिकारियों से शिकायत कर सकते थे।
कफाला सिस्टम के तहत अगर कोई मजदूर अपने कफील से बुरा व्यवहार या कम वेतन मिलने के बावजूद नौकरी छोड़ना चाहता था, तो उसे कफील की इजाजत लेनी होती थी। बिना अनुमति के नौकरी छोड़ने पर मजदूर को अवैध निवासी माना जाता था और उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता था। इसके अलावा, देश छोड़ने के लिए कफील से एक्जिट वीजा लेना पड़ता था, जो अक्सर कफील देने से मना कर देते थे।
कफील कई बार मजदूरों के पासपोर्ट भी ले लेते थे, जिससे वे विदेश यात्रा नहीं कर पाते थे और फंस जाते थे। इस कारण मानवाधिकार संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने इस सिस्टम की आलोचना की थी, और इसे आधुनिक गुलामी कहा था, क्योंकि यह मजदूरों के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन करता था और मानव तस्करी को बढ़ावा देता था।
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पासपोर्ट जब्त करना: कफील अक्सर मजदूरों के पासपोर्ट को जब्त कर लेते थे, जिससे वे यात्रा नहीं कर सकते थे और न ही पहचान साबित कर सकते थे। इस तरह, मजदूरों को लगभग कैद कर लिया जाता था, जो उनके अधिकारों का उल्लंघन था।
देश छोड़ने पर रोक: मजदूरों को अपने घर वापस जाने के लिए भी कफील से एक्जिट वीजा की मंजूरी की आवश्यकता होती थी। पारिवारिक आपातकाल जैसी परिस्थितियों में भी, मालिक अक्सर इन्कार कर देते थे, जिससे मजदूर बंधक की तरह फंस जाते थे।
नौकरी बदलने पर पाबंदी: कई देशों में, मजदूरों को बुरे व्यवहार, कम वेतन या लंबी कामकाजी घंटों के बावजूद अपनी नौकरी छोड़ने की आजादी नहीं होती थी। उन्हें कफील से इजाजत लेना आवश्यक होता था, और बिना इजाजत के नौकरी छोड़ने पर उन्हें अवैध निवासी माना जाता था और गिरफ्तारी का सामना करना पड़ता था।