एशिया में बढ़ा युद्ध का खतरा, (डिजाइन फोटो)
Japan-US Arms Deal: एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती भू-राजनीतिक हलचल के बीच ताइवान को लेकर जापान और चीन के रिश्ते नई तल्खी की ओर बढ़ रहे हैं। स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई जब जापान ने अमेरिका को पैट्रियट मिसाइल इंटरसेप्टर भेजे। चीन ने इस फैसले को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बताया है और आरोप लगाया है कि जापान अपनी पुरानी सैन्य मानसिकता की ओर लौट रहा है।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने जापान पर सीधा हमला बोला। अखबार ने कहा कि जापान हथियारों के निर्यात पर लगी अपनी पारंपरिक रोक को तोड़ रहा है, जिससे क्षेत्र में खतरनाक बदलाव हो सकते हैं।
चीनी सैन्य विशेषज्ञ झांग शुएफेंग ने चेतावनी देते हुए कहा कि पैट्रियट मिसाइलों का निर्यात जापान के लिए एक टेम्पलेट बन सकता है। इससे जापान को आगे और भी घातक हथियार निर्यात करने की राह मिल जाएगी। झांग के मुताबिक, यह कदम पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ा सकता है।
जापानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका इन मिसाइलों का उपयोग अपने हथियार भंडार को मजबूत करने में करेगा, जो यूक्रेन युद्ध की वजह से काफी कम हो गया है।
कई दशकों तक जापान थ्री प्रिंसिपल्स ऑन डिफेंस ट्रांसफर के तहत घातक हथियारों का निर्यात नहीं करता था। लेकिन 2023 में इस नीति में भारी बदलाव किया गया। नई नीति के तहत जापान अब अमेरिका को पैट्रियट मिसाइलें भेज सकता है और अपने रक्षा उद्योग को मजबूत करने के लिए हथियार उत्पादन बढ़ा सकता है। यह कदम जापान की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह अपनी सैन्य क्षमताओं का तेज़ी से विस्तार कर रहा है।
स्थिति तब बिगड़ी जब जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने संसद में कहा कि यदि चीन ताइवान पर हमला करता है, तो इसे जापान की सुरक्षा के लिए खतरा माना जाएगा और जरूरत पड़ने पर जापानी सेना को तैनात किया जा सकता है। चीन ने इस बयान को अपनी आंतरिक संप्रभुता में हस्तक्षेप बताया और इसे जापान की “युद्धकालीन मानसिकता” की वापसी करार दिया। इसके बाद बीजिंग ने कई सांस्कृतिक, शैक्षिक और आर्थिक कार्यक्रम स्थगित कर दिए, जिससे दोनों देशों के संबंधों में और ठंडक आ गई।
चीन के विश्लेषकों का कहना है कि जापान अब अमेरिका के हथियार सिस्टम को बनाकर, सुधारकर और निर्यात करके अपनी डिफेंस इंडस्ट्री को वैश्विक स्तर पर स्थापित करना चाहता है। इसके अलावा जापान फ़िलीपींस, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को हथियार देकर राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
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प्रधानमंत्री ताकाइची साफ कर चुकी हैं कि जापान आने वाले वर्षों में अपना रक्षा बजट बढ़ाकर GDP का 2% तक ले जाएगा जो देश की रक्षा नीति में सबसे बड़ा बदलाव है।