इजरायली हथियारों की बिक्री ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
तेल अवीव: इजरायल ने 2024 में सैन्य निर्यात का अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनाया है। यह उपलब्धि ऐसे समय में हासिल हुई है जब वह कई मोर्चों पर युद्ध में व्यस्त है। ताजा रिपोर्टों के मुताबिक, इस साल इजरायल ने पहले से कहीं अधिक मात्रा में हथियारों की बिक्री की है। फिलहाल वह गाजा में बड़े पैमाने पर युद्ध लड़ रहा है, जबकि सीरिया, लेबनान, ईरान और यमन में भी वह हवाई हमले और विशेष सैन्य अभियानों को अंजाम दे रहा है। वैश्विक मंच पर उस पर गाजा युद्ध को समाप्त करने का दबाव लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इजरायल किसी भी तरह की रियायत देने को तैयार नहीं दिख रहा और अपने विरोधियों का पूरी ताकत से मुकाबला कर रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी ताजा आंकड़ों से पता चला है कि 2024 में देश का रक्षा निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इस वर्ष इजरायल ने 14.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सैन्य साजो-सामान निर्यात किया, जो 2023 के 13 बिलियन डॉलर के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया। यह साल-दर-साल 13% की उल्लेखनीय वृद्धि है।
यह प्रगति ऐसे समय में हुई है जब है जब गाजा में चल रहे युद्ध, मानवाधिकार हनन और जनसंहार के आरोपों के चलते इजरायल को वैश्विक स्तर पर आलोचना और अलग-थलग पड़ने जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद, उसके रक्षा निर्यात पर इन परिस्थितियों का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है।
इजरायल के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह अब तक का सबसे ऊंचा रक्षा निर्यात आंकड़ा है और लगातार चौथे वर्ष इजरायल ने नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। गौर करने वाली बात यह है कि इजरायल की यह बढ़ती हथियार बिक्री उसके इतिहास के सबसे लंबे युद्ध के दौरान हुई है। इसके विपरीत, रूस का रक्षा निर्यात यूक्रेन युद्ध के बीच बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उपलब्ध आंकड़े यह संकेत देते हैं कि इजरायल ने कुछ ऐसे बाजारों में भी पैठ बनाई है, जो पहले रूसी हथियारों के लिए जाने जाते थे।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से 2023 के बीच रूस के हथियार निर्यात में पिछले पांच वर्षों की तुलना में आधे से भी ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, जेम्सटाउन फाउंडेशन की रिपोर्ट में यह गिरावट और भी गंभीर बताई गई है। उसके मुताबिक, यूक्रेन युद्ध, आर्थिक प्रतिबंध, महंगाई और वित्तीय संकट की वजह से 2021 से 2024 के बीच रूस का रक्षा निर्यात लगभग 92% तक गिर गया है। इस तेज गिरावट का असर खासकर एशियाई बाजारों जैसे भारत और खाड़ी देशों में रूस की पकड़ पर पड़ा है। इसी दौरान, इजरायल ने इस मौके का फायदा उठाते हुए अपने रक्षा निर्यात को तेज़ी से बढ़ाया है ताकि बाजार में बनी खाली जगह को भरा जा सके।
अब्राहम समझौते के बाद इजरायल और कई अरब देशों के बीच संबंधों में तेजी से सुधार हुआ है, जिसका असर हथियारों के व्यापार में भी देखने को मिला। 2023 में जहां इजरायल का अरब देशों को रक्षा निर्यात महज 3% था, वहीं 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 12% तक पहुंच गया। UAE, बहरीन, मोरक्को और सूडान ने मिलकर करीब 1.8 अरब डॉलर के हथियार खरीदे हैं। इनमें मोरक्को ने एल्बिट का ATMOS हॉवित्जर, PULS रॉकेट सिस्टम, बराक MX डिफेंस सिस्टम और एक टोही सैटेलाइट हासिल किया है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इजरायल का सबसे बड़ा हथियार बाजार अब यूरोप बन चुका है, जो 2024 में उसके कुल रक्षा निर्यात का 54% रहा। 2023 में यह आंकड़ा 35% था। 2024 में यूरोपीय देशों ने लगभग 8 अरब डॉलर के इजरायली हथियार खरीदे, जबकि 2023 में यह खरीद 4.6 अरब डॉलर की थी। इस उछाल की मुख्य वजह रूस-यूक्रेन युद्ध है, जिसके चलते यूरोप ने अपने रक्षा बजट में इजाफा किया और सैन्य संसाधनों को फिर से भरने की कोशिश शुरू की।
भारत इजरायल के लिए एशियाई क्षेत्र में एक विश्वसनीय और प्रमुख रक्षा साझेदार के रूप में उभरा है। SIPRI की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 से 2024 के बीच भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक रहा। इस अवधि में भारत ने अपने कुल रक्षा आयात का 13% अकेले इजरायल से किया। रूस और फ्रांस के बाद इजरायल भारत का तीसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता रहा। साथ ही, फिलीपींस में भी इजरायल ने 27% की हिस्सेदारी के साथ दूसरा स्थान हासिल किया है।
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इजरायल और जर्मनी के बीच हुआ एरो 3 एयर डिफेंस सिस्टम का ऐतिहासिक सौदा इजरायल की हथियार बिक्री में बड़ी छलांग साबित हुआ। इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने जर्मनी के साथ 3.8 अरब डॉलर (अमेरिकी) का समझौता किया, जो अब तक का सबसे बड़ा इजरायली रक्षा करार है। खास बात यह है कि गाजा में चल रहे विवाद के चलते यूरोप में इजरायल की आलोचना होने के बावजूद, यूरोपीय देशों द्वारा इजरायली हथियारों की मांग में इजाफा देखा गया है।