गाजा-इजरायल हमलों में 300 पत्रकारों और लगभग 706 परिजनों की मौत (सोर्स-सोशल मीडिया)
Palestinian Journalists Syndicate Report On Media Casualties In Gaza War: इजरायल और हमास के बीच जारी भीषण युद्ध में पत्रकारों और उनके परिवारों के खिलाफ हिंसा ने अब तक के सबसे क्रूर और खतरनाक रूप को अख्तियार कर लिया है। गाजा में अक्टूबर 2023 से शुरू हुए सैन्य अभियान में अब तक 300 से अधिक पत्रकारों की जान जा चुकी है, जबकि उनके 700 से ज्यादा परिजन भी इन हमलों का शिकार हुए हैं।
फिलिस्तीनी जर्नलिस्ट सिंडिकेट की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली सेना द्वारा पत्रकारों के परिवारों को निशाना बनाना एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। इस घातक हमले का मुख्य उद्देश्य पत्रकारों को डराना, उनकी रिपोर्टिंग को रोकना और गाजा की जमीनी सच्चाई को दुनिया के सामने आने से रोकना है।
सिंडिकेट की फ्रीडम कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि इजरायली हिंसा अब केवल मीडियाकर्मियों तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके मासूम बच्चों, पत्नियों और बुजुर्ग माता-पिता को भी निशाना बनाया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में 436, 2024 में 203 और 2025 में अब तक 67 पत्रकारों के परिजनों की हत्या की गई है।
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि इजरायल पत्रकारिता को एक ऐसा “अस्तित्वगत बोझ” बनाना चाहता है, जिसकी भारी कीमत पत्रकारों को अपने अपनों की जान देकर चुकानी पड़े। यह हमले अक्सर उन अस्थायी शिविरों और टेंटों पर भी किए गए जहां विस्थापित परिवार शरण लिए हुए थे।
इस सुनियोजित हिंसा ने जीवित बचे पत्रकारों के बीच गहरा मानसिक संकट पैदा कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, कई पत्रकार इस भारी अपराधबोध (Guilt) के साथ जी रहे हैं कि उनके पेशेवर काम की वजह से उनके पूरे परिवार को खत्म कर दिया गया।
खान यूनिस जैसे इलाकों से दो साल बाद मलबे के नीचे से निकाले जा रहे शव इस त्रासदी की भयावहता को बयान करते हैं। सिंडिकेट के प्रमुख मुहम्मद अल-लह्हाम ने कहा कि इजरायल कलम और घर के बीच के फर्क को खत्म कर चुका है। पत्रकारों को अपने ही परिवार की तबाही का गवाह बनने के लिए मजबूर करना इस युद्ध का सबसे काला अध्याय है।
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‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ की एक अन्य रिपोर्ट ने भी पुष्टि की है कि 2025 में इजरायल ने दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे ज्यादा पत्रकारों की जान ली है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय और प्रेस फ्रीडम संगठनों ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला करार दिया है।
इजरायल पर आरोप है कि वह गाजा में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों को छिपाने के लिए सूचना के स्रोतों को ही खत्म कर रहा है। यह स्थिति न केवल गाजा के पत्रकारों के लिए बल्कि दुनिया भर में स्वतंत्र पत्रकारिता के भविष्य के लिए एक अत्यंत चिंताजनक और डरावनी मिसाल पेश करती है।