ईरान के नतांज परमाणु ठिकाने पर दिखी संदिग्ध हलचल, फोटो (सो. एआई डिजाइन)
Natanz Nuclear PlantNews In Hindi: ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताएं बढ़ गई हैं। जून में ईरान और इजरायल के बीच हुए 12 दिन के युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा जिन परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया था।
अब उन्हीं स्थानों पर दोबारा गतिविधि के संकेत मिल रहे हैं। ताजा सैटेलाइट तस्वीरों में ईरान के नतांज परमाणु परिसर में स्थित एक अहम यूरेनियम संवर्धन संयंत्र पर फिर से काम शुरू होने के संकेत दिखाई दे रहे हैं।
अमेरिका स्थित थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी (ISIS) ने इन सैटेलाइट तस्वीरों का विश्लेषण करते हुए कहा है कि नतांज के पायलट फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट (PFEP) में हालिया गतिविधि ईरान के परमाणु इरादों को लेकर नए सवाल खड़े करती है। रिपोर्ट के मुताबिक, परिसर में मौजूद एंटी-ड्रोन संरचनाओं के ऊपर नए पैनल लगाए गए हैं, जिनका उद्देश्य क्षतिग्रस्त हिस्सों को ढकना माना जा रहा है।
Activity has been spotted at the Pilot Fuel Enrichment Plant (PFEP) at the Natanz Nuclear Complex. Satellite imagery from December 13, 2025, shows that Iran placed panels on top of the remaining anti-drone structure, providing cover for the destroyed facility, although a large… pic.twitter.com/2iJ0cuHLly — Inst for Science (@TheGoodISIS) December 18, 2025
तस्वीरों से संकेत मिलता है कि इन कवर पैनलों के जरिए मलबे के नीचे हो रही गतिविधियों को बाहरी निगरानी से छिपाने की कोशिश की जा रही है। ISIS का मानना है कि ईरान इन ढंके हुए हिस्सों में जाकर नुकसान का आकलन कर सकता है या फिर वहां मौजूद संवेदनशील परमाणु सामग्री को निकाल सकता है।
हालांकि ड्रोन हमलों से बने बड़े छेदों को पूरी तरह बंद नहीं किया गया है लेकिन इतना जरूर किया गया है कि अंदर की गतिविधियां साफ तौर पर दिखाई न दें।
PFEP संयंत्र को ईरान के परमाणु कार्यक्रम का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। यहां उन्नत सेंट्रीफ्यूज और उच्च स्तर के यूरेनियम संवर्धन से जुड़ा रिसर्च और डेवलपमेंट किया जाता रहा है। ISIS के अनुसार, हमलों से पहले इस साइट पर कुछ किलो अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम मौजूद था। भले ही यह मात्रा कम हो, लेकिन रणनीतिक दृष्टि से इसे बेहद अहम माना जाता है।
दिलचस्प बात यह है कि फिलहाल फोर्डो और इस्फहान जैसे अन्य प्रमुख परमाणु ठिकानों पर किसी तरह की नई गतिविधि नजर नहीं आई है। ये दोनों साइट्स भी जून के युद्ध के दौरान निशाने पर थीं। विशेषज्ञों का मानना है कि केवल नतांज के PFEP पर फोकस करना इस ओर इशारा करता है कि ईरान सबसे पहले अपने रिसर्च और डेवलपमेंट से जुड़े परमाणु ढांचे को फिर से सक्रिय करना चाहता है।
यह भी पढ़ें:- पुतिन का बड़ा बयान: रूस-चीन संबंध वैश्विक स्थिरता की रीढ़, शी जिनपिंग को बताया भरोसेमंद दोस्त
जानकारों के मुताबिक, नतांज में दिखी यह हलचल आने वाले दिनों में ईरान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव को और बढ़ा सकती है। सैटेलाइट निगरानी और तेज होगी वहीं कूटनीतिक स्तर पर भी ईरान से इन गतिविधियों को लेकर जवाब मांगा जा सकता है।