ईरान-इजरायल जंग में खामेनेई को मिला भारत के पड़ोसियों का साथ, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
ईरान और इजरायल के बीच जंग तेजी से बढ़ रही है, जबकि इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय दो हिस्सों में बंटता दिखाई दे रहा है। अमेरिका पहले ही इजरायल को अपना समर्थन दे चुका है और खुद ईरान पर हमला करने की तैयारी में जुटा हुआ है। इसके विपरीत, रूस ने ईरान का पक्ष लेते हुए अमेरिका को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि वह इस संघर्ष में शामिल हुआ तो इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे।
अब एक और प्रमुख शक्ति, चीन ने भी ईरान को अपना समर्थन दिया है और इजरायल से तत्काल युद्ध रोकने की मांग की है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि युद्ध किसी भी विवाद का समाधान नहीं हो सकता।
चीनी राष्ट्रपति ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय विवादों का समाधान कभी भी युद्ध के माध्यम से नहीं हो सकता। इससे पहले, चीन ने पांच दिनों तक चली लड़ाई पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि वह इस बढ़ते संघर्ष को लेकर गंभीर रूप से चिंतित है। वहीं, रूस ने अमेरिका को सीधी चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि अमेरिका ने इजरायल को ईरान के विरुद्ध सैन्य सहायता प्रदान की, तो यह कदम बेहद खतरनाक साबित होगा।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई टेलीफोन वार्ता के दौरान मध्य पूर्व की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने संघर्षरत पक्षों, विशेष रूप से इज़राइल, से आग्रह किया कि वे यथाशीघ्र युद्धविराम लागू करें, जिससे क्षेत्र में शांति और स्थिरता को पुनः स्थापित किया जा सके।
क्रेमलिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव ने बताया कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने फोन वार्ता के दौरान ईरान से जुड़ी जानकारी साझा करने के लिए अपने संबंधित एजेंसियों को निर्देश देने पर सहमति व्यक्त की। यह बातचीत लगभग एक घंटे तक चली।
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बुधवार को रूस और संयुक्त अरब अमीरात ने इजरायल-ईरान युद्ध को शीघ्र समाप्त करने तथा ईरान के परमाणु विवाद को हल करने के लिए राजनयिक और राजनीतिक प्रयासों को तेज करने की अपील की। क्रेमलिन के अनुसार, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ फोन पर हुई बातचीत में इन मुद्दों पर चर्चा की।
इस संघर्ष में विभिन्न देशों ने अपने-अपने सहयोगियों का समर्थन किया है। इजरायल के पक्ष में अमेरिका, सऊदी अरब, जर्मनी, कनाडा, ब्रिटेन, यूएई और जॉर्डन जैसे देश खड़े हैं, जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं। वहीं, रूस, चीन, इराक, लेबनान, पाकिस्तान, तुर्की और मिस्र जैसे देशों ने ईरान का समर्थन किया है। भारत ने किसी एक पक्ष को समर्थन देने के बजाय दोनों देशों से शांति बनाए रखने और वार्ता के माध्यम से मतभेदों को सुलझाने का आग्रह किया है।