ईरान में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन (सोर्स- सोशल मीडिया)
Iran Gen Z Protest: ईरान में सोमवार को देशभर में हड़ताल और विरोध प्रदर्शन फैल गए। कई शहरों में हालात हिंसक हो गए। रात के समय लोग सड़कों पर निकल आए और सरकार के खिलाफ नारे लगाए। बाजार के व्यापारियों ने कहा कि वे मंगलवार तक अपनी दुकानें बंद रखेंगे और प्रदर्शन जारी रखेंगे। विरोध प्रदर्शनों के चलते ईरान में तनाव का माहौल है।
इन विरोधों की शुरुआत अमेरिकी डॉलर की कीमत अचानक बहुत बढ़ने और ईरानी मुद्रा रियाल के तेजी से गिरने से हुई। इससे लोगों में गुस्सा फैल गया। धीरे-धीरे यह गुस्सा सिर्फ बाजारों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सड़कों, चौराहों और यूनिवर्सिटी कैंपस तक पहुंच गया।
तेहरान में ग्रैंड बाजार के बड़े हिस्से, कमर्शियल सेंटर और अलादीन मॉल बंद रहे। सेंट्रल तेहरान में बड़ी भीड़ जमा हुई। सिक्योरिटी फोर्स ने भीड़ को हटाने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया और कई जगह झड़पें हुईं।
VIDEO: Iran’s economic collapse is spilling into open revolt against the Islamic regime in Iran. Coordinated bazaar strikes across Tehran, Isfahan, and other cities follow a plunging currency, runaway inflation, and visible fractures at the top of the system. In a major break… pic.twitter.com/gl5IptK75j — Kayhan Life (@KayhanLife) December 30, 2025
सोशल मीडिया पर एक वीडियो बहुत वायरल हुआ, जिसमें एक प्रदर्शनकारी सिक्योरिटी फोर्स के सामने जमीन पर बैठा दिखता है। कई लोगों ने इसकी तुलना चीन के 1989 के “टैंक मैन” से की। हालांकि उस प्रदर्शनकारी को जल्दी ही पीटकर वहां से हटा दिया गया।
तेहरान के बाहर हालात और बिगड़ गए। दक्षिण में केशम आइलैंड से लेकर उत्तर में जंजन और हमादान तक, और पूर्व में केरमान तक विरोध और रात की रैलियों की खबरें आईं। हमादान में सिक्योरिटी फोर्स द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने की रिपोर्ट मिली, जबकि मालार्ड में आंसू गैस का इस्तेमाल हुआ।
December 29—Qeshm, southern Iran
In tandem with bazaar strikes and protests in Tehran, merchants and citizens in Qeshm poured in the streets to protest deteriorating economic conditions and the regime’s repressive policies.#IranProtests pic.twitter.com/kdSF7Gg4sG — People’s Mojahedin Organization of Iran (PMOI/MEK) (@Mojahedineng) December 30, 2025
पहले दिन नारे ज्यादातर महंगाई और आर्थिक परेशानियों पर थे, लेकिन दूसरे दिन नारे सीधे राजनीतिक विरोध में बदल गए। कई जगह “तानाशाह की मौत हो” और देश के सर्वोच्च नेता के खिलाफ नारे लगाए गए। कुछ शहरों में पुराने राजशाही शासन के समर्थन में भी नारे सुनाई दिए।
इस संकट की बड़ी वजह डॉलर का 144,000 तोमन तक पहुंचना और फिर थोड़ी गिरावट आना है। दुकानदारों का कहना है कि इतनी अनिश्चितता में कीमत तय करना और कारोबार चलाना मुश्किल हो गया है।
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इसी बीच सेंट्रल बैंक के गवर्नर ने इस्तीफा दे दिया और सरकार ने नया गवर्नर नियुक्त किया, लेकिन इससे विरोध शांत होने के संकेत नहीं मिले। व्यापारी और छात्र मंगलवार को भी हड़ताल और प्रदर्शन जारी रखने की तैयारी में हैं। आने वाले दिन तय करेंगे कि यह आंदोलन सिर्फ आर्थिक मुद्दों तक रहेगा या सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनेगा।