कनाडाई नेता रूबी ढल्ला, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: भारतीय मूल की कनाडाई नेता रूबी ढल्ला को कनाडा की लिबरल पार्टी ने प्रधानमंत्री पद की दौड़ से बाहर कर दिया है। उन्होंने खुलासा किया कि पीएम जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी ने उन्हें अगला कनाडाई प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में अयोग्य ठहरा दिया है। इस फैसले को लेकर रूबी ढल्ला ने अपनी निराशा और आश्चर्य जताया और इसे चौंकाने वाला करार दिया। उन्होंने इस विषय पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट भी साझा किया है।
लिबरल पार्टी की वोटिंग कमेटी की जांच में पाया गया कि रूबी ढल्ला ने चुनावी खर्च सहित कुल 10 नियमों का उल्लंघन किया। पार्टी के नेशनल डायरेक्टर, आजम इस्माइल के अनुसार, ढल्ला ने आवश्यक चुनावी वित्तीय जानकारी न केवल छिपाई, बल्कि जो जानकारी दी, वह भी गलत थी। इस जांच के नतीजों के आधार पर पार्टी ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की दौड़ से हटा दिया।
रूबी ढल्ला ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को पूरी तरह निराधार और झूठा करार दिया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी उनके बढ़ते जनसमर्थन से घबराई हुई थी, जिसके चलते यह कदम उठाया गया। ढल्ला के अनुसार, उन्हें रेस से बाहर करने के लिए दुर्भावनापूर्ण तरीके अपनाए गए, जो इस बात का संकेत है कि उनकी लोकप्रियता बढ़ रही थी और जीत उनके करीब थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी बात जनता तक पहुंच रही थी, जिससे पार्टी और सरकार चिंतित हो गई थी।
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ढल्ला ने राजनीति से बाहर रहने के बावजूद कनाडा के हितों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि वह अपनी वकालत जारी रखेंगी और देशवासियों के समर्थन में खड़ी रहेंगी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किए गए एक पोस्ट में उन्होंने बताया कि लिबरल पार्टी ने उन्हें लीडरशिप की दौड़ से बाहर कर दिया है। इस फैसले पर हैरानी और निराशा जताते हुए उन्होंने कहा कि यह निर्णय मीडिया में लीक हो जाने से और भी चिंताजनक हो गया है।
रूबी ढल्ला एक प्रसिद्ध कनाडाई बिजनेसवुमन और मोटिवेशनल स्पीकर हैं। वह महज 14 साल की उम्र में लिबरल पार्टी से जुड़ गई थीं और अपने करियर की शुरुआत मॉडलिंग से की थी। 1993 में उन्होंने मिस इंडिया-कनाडा प्रतियोगिता में दूसरा स्थान हासिल किया था और 2003 में बॉलीवुड फिल्म ‘क्यों किस लिए’ में अभिनय भी किया था।
राजनीति में सक्रिय होने के बाद रूबी ने कनाडा में बढ़ती हाउसिंग लागत, अपराध दर, खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें और अमेरिका से मिलने वाली टैरिफ धमकियों जैसे अहम मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद की। उनका मानना है कि उनके नेतृत्व में देश इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकता है।