राजनाथ ने खोला सीमा विवाद सुलझाने का राज, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन के किंगदाओ शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मौजूद हैं। इस दौरान उनकी चीनी रक्षा मंत्री एडमिरल डॉन जून के साथ एक महत्वपूर्ण वार्ता हुई, जिसमें दोनों पक्षों ने गलवान घाटी जैसे सीमावर्ती विवादों पर चर्चा की।
राजनाथ सिंह ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने और भविष्य में गलवान जैसी घटनाओं को रोकने के लिए चार-सूत्रीय प्रस्ताव रखा। इसके अलावा, उन्होंने चीनी रक्षा मंत्री को पहलगाम में निर्दोष नागरिकों पर हुए आतंकी हमले और भारत द्वारा पाकिस्तान में आतंकी नेटवर्क के खिलाफ किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बारे में भी जानकारी दी। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने नई दिल्ली में इन बातों की पुष्टि की।
रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि दोनों देशों के मंत्रियों ने सीमा विवाद से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति जताई। इनमें सैनिकों की वापसी, तनाव कम करने के उपाय, सीमा प्रबंधन और भविष्य में सीमा निर्धारण जैसे विषय शामिल हैं। राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री के समक्ष इस दिशा में आगे बढ़ने का एक स्पष्ट खाका पेश किया। जो इस प्रकार है-
2020 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास टकराव हुआ था। इस घटना के बाद दोनों देशों की सेनाओं की सीमा पर गश्त (पेट्रोलिंग) को लेकर मतभेद बढ़ गए थे, जिससे LAC पर तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी।
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इस तनाव को कम करने के लिए 2024 में भारत और चीन ने एक समझौता किया, जिसे “2024 डिसइंगेजमेंट प्लान” कहा जाता है। इस योजना के तहत दोनों देशों ने LAC के आसपास गश्त की व्यवस्था पर सहमति जताई। अक्टूबर 2024 में इस व्यवस्था को अंतिम रूप दिया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखना और संघर्ष की संभावना को कम करना है।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि रक्षा मंत्री ने पड़ोसी देशों के साथ बेहतर संबंध बनाने और एशिया तथा विश्व में शांति व स्थिरता के लिए मिलकर काम करने पर बल दिया। मंत्रालय के बयान के अनुसार, उन्होंने 2020 में हुए सीमा विवाद के बाद घटे विश्वास को पुनः स्थापित करने के लिए ठोस प्रयास करने की आवश्यकता भी जोर दिया। साथ ही, रक्षा मंत्री ने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के ऐतिहासिक अवसर का उल्लेख किया और कैलाश मानसरोवर यात्रा को पांच साल के बाद फिर से शुरू किए जाने की सराहना की।