PM मोदी और कनाडा PM मार्क कार्नी (सोर्स- सोशल मीडिया)
India Canada Ties Improvement: कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल की समाप्ति और मार्क कार्नी के नए प्रधानमंत्री बनने के बाद, भारत और कनाडा के द्विपक्षीय संबंधों में फिर से सुधार के संकेत मिलने लगे हैं। हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडाई समकक्ष मार्क कार्नी के बीच हुई गर्मजोशी भरी मुलाकात ने रिश्तों को पटरी पर लाने की शुरुआत कर दी है। इसी क्रम में, दोनों देश अब संसदीय संबंधों और पीपल-टू-पीपल (जन-से-जन) संपर्क को मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में भारत और कनाडा के संबंध ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर आ गए थे, जिसने दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा दिया था। लेकिन अब, मार्क कार्नी के पदभार संभालने के बाद, संबंधों में तेजी से सुधार देखा जा रहा है। दक्षिण अफ्रीका में जी-20 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और पीएम कार्नी की मुलाकात को इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
इस सकारात्मक माहौल को आगे बढ़ाते हुए, भारतीय उच्चायुक्त दिनेश के. पटनायक ने हाल ही में कनाडा की हाउस ऑफ कॉमन्स की स्पीकर फ्रांसिस स्कार्पालेगिया से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों देशों के बीच संसदीय संबंधों को आगे बढ़ाने, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और भविष्य में सहयोग के अवसरों पर उपयोगी चर्चा हुई।
द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए अगले महीने यानी जनवरी में भारत एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम की मेजबानी करेगा। भारत कॉमनवेल्थ देशों के संसदों के स्पीकरों और पीठासीन अधिकारियों के 28वें सम्मेलन (28th CSPOC) में स्पीकर फ्रांसिस स्कार्पालेगिया के नेतृत्व में कनाडाई प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करेगा।
ओटावा में भारतीय उच्चायोग ने इस मुलाकात और आगामी सम्मेलन के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर जानकारी दी। उच्चायोग ने लिखा कि भारत-कनाडा संसदीय संबंधों को मजबूत करने और भविष्य के सहयोग पर उपयोगी विचार-विमर्श हुआ और भारत अगले महीने 28वें CSPOC में कनाडाई प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करने को उत्सुक है।
सिर्फ संसदीय संबंध ही नहीं, दोनों देश अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उच्चायुक्त दिनेश के. पटनायक ने एक दिन पहले बुधवार को कनाडा की इमिग्रेसन, शरणार्थी एवं नागरिकता मंत्री लीना मेटलेज डियाब के साथ भी एक उपयोगी बैठक की।
यह भी पढ़ें: UN में अफगानिस्तान के समर्थन में खुलकर आया भारत! एयर स्ट्राइक पर लगाई क्लास, मुंह देखता रह PAK
इस बैठक का मुख्य फोकस द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने पर रहा। दोनों पक्षों ने आव्रजन प्रक्रियाओं (Immigration Processes), छात्रों से जुड़े मुद्दों और दोनों देशों की प्रणालियों की गहरी समझ पर ज़ोर दिया। साथ ही, दोनों देशों के बीच पीपल-टू-पीपल (जन-से-जन) संबंधों को और मजबूत करने पर विशेष बल दिया गया। ये लगातार हो रही उच्च-स्तरीय बैठकें दर्शाती हैं कि दोनों देश अपने बिगड़े संबंधों को फिर से भरोसे और दोस्ती के स्तर पर लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।