मंगलवार, 1 अप्रैल को म्यांमार के मांडले में आए विनाशकारी भूकंप के बाद, बौद्ध भिक्षु क्षतिग्रस्त थाहटे क्युंग मठ से मलबा हटाने में जुटे। भूकंप की तबाही से मठ का एक बड़ा हिस्सा ध्वस्त हो गया।
भूकंप के चपेट में आए लोग मंगलवार को म्यांमार के अमरापुरा में खाने और सहायता सामग्री के लिए लाइन में लगे थे। बता दें कि इस भूकंप की वजह से हजारों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई है।
हर ओर अफरा-तफरी मच गई। लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। सैकड़ों लोग मलबे के नीचे दब गए हैं। राहत और बचाव कार्य के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया जा रहा है।
सोमवार की संध्या बेला में, जब सूरज अपनी अंतिम किरणें बिखेर रहा था, म्यांमार के ऐतिहासिक नगर मांडले में एक बौद्ध भिक्षु शांत भाव से आगे बढ़ रहा था। वह क्षतिग्रस्त मांडले पैलेस के समीप से गुजर रहा था, जहां सूर्यास्त की सुनहरी आभा प्राचीन दीवारों पर पड़कर एक अद्भुत दृश्य रच रही थी।
राहत और बचाव कार्य में जुटे बचावकर्मी दिन-रात बिना रुके अपनी पूरी मेहनत और समर्पण के साथ काम करते रहे। लंबी और थकाने वाली ड्यूटी के बाद, सोमवार को वे बैंकॉक में कुछ समय के लिए विश्राम करते नजर आए, ताकि आगे की चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को फिर से तैयार कर सकें।
शुक्रवार को आए भीषण भूकंप के बाद, शनिवार को नेपीता में बचाव दल पूरी तत्परता के साथ राहत कार्यों में जुटा हुआ है। वे क्षतिग्रस्त इमारतों के मलबे के नीचे दबे संभावित जीवित लोगों की तलाश कर रहे हैं, ताकि उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। बचाव अभियान तेजी से चलाया जा रहा है, जिसमें राहतकर्मी हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि किसी भी फंसे हुए व्यक्ति तक जल्द से जल्द पहुंचा जा सके।
शनिवार को बैंकॉक में बचाव दल के प्रशिक्षित कुत्ते पूरी मुस्तैदी और समर्पण के साथ अपनी ड्यूटी निभाते हुए दिखाई दिए, जहां वे बचाव अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे थे।
शुक्रवार, 28 मार्च को आए भीषण भूकंप के बाद बैंकॉक में बचाव दल पूरी मुस्तैदी के साथ राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। शहर के विभिन्न हिस्सों में भारी तबाही मच गई है, और खासकर ऊंची इमारतों को गंभीर नुकसान पहुंचा है। कई इमारतें जमींदोज हो चुकी हैं, जिससे उनके मलबे में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू टीमें दिन-रात प्रयास कर रही हैं।