हमास ने 3 फिलिस्तीनियों को दी मौत की सजा (फोटो- सोशल मीडिया)
Hamas Terrorists Killed Palestinians: इजरायल और हमास के बीच करीब दो साल से जंग जारी है। इजरायल ने गाजा में अपनी सैन्य कार्रवाई को तेज कर दिया है। इस बीच गाजा से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने हमास के आतंकी चेहरे को पूरी दुनिया के सामने बेनाकाब कर दिया है। हमास गाजा में 3 फलस्तीनी नागरिकों को इजरायल का साथ देने के आरोप में मौत घाट उतार दिया। जिस वक्त हमास के आतंकी नागरिकों को सजा-ए-मौत दे रहे थे, उस वक्त भीड़ नारे लगा रही थी।
हमास की आतंकियों की करतूत का यह सोशल मीडिया पर आते ही वायरल हो गया। वीडियों में साफ देखा जा सकता है कि 3 लोगों की आंखों पर पट्टी बंधी और वो जमीन पर घुटनों के बल बैठे हैं। साथ ही हमास के आतंकी हथियार लहराते हुए जनता को उन पर लगे आरोपों के बारे में बता रहा है। वहीं भीड़ में से कुछ लोग पूरी घटना का वीडियों बना रहे है और अल्लाह हू अकबर के नारे लगा रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वीडियो में हमास का आतंकी अरबी में भीड़ को यह बताते हुए दिखाई देता है कि इजरायल के सहयोगियों को मौत की सजा दी जाएगी। इसके बाद वह तीनों लोगों को गोली मार देता है। हत्या के बाद हमास के आतंकियों ने शवों पर नोट छोड़ दिए, जिन पर लिखा था, “तुम्हारा विश्वासघात बिना सजा के नहीं छोड़ा जा सकता। कड़ी सजा का इंतजार था, और वह पूरा हुआ।” बताया जा रहा है कि यह घटना गाजा शहर के शिफा अस्पताल के बाहर हुई।
#BREAKING #Hamas executes three Gazans accused of Israeli collaboration in #Gaza City, moments after UK, Canada, & Australia recognize #Palestine. Crowds cheer as the act, filmed live, starkly contrasts with Western peace efforts, what are your thoughts? #Israel pic.twitter.com/ygZEG1Pjfr — Thepagetoday (@thepagetody) September 21, 2025
मारे गए नागरिकों में से एक की पहचान यासर अबू शबाब के रूप में हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शबाब को इजरायल का सहयोगी माना जाता था। वह इजरायल समर्थक एक सशस्त्र कबीले का नेतृत्व करता था, जो राफा में सक्रिय था और खुद को हमास का विरोधी बताता था।.
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बता दें यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले मई में भी हमास के आतंकियों ने राहत सामग्री और मानवीय सहायता चुराने के आरोप में छह फलस्तीनियों को मौत के घाट उतार दिया था। हमास द्वारा उठाया गया यह कदम फिलीस्तीन को देश को रूप में मान्यता मिलने में एक बड़ी बाधा बन सकती है।