विदेश सचिव विक्रम मिस्री (फोटो- सोशल मीडिया)
टोक्यो: जापान में आयोजित रायसीना टोक्यो 2025 सम्मेलन में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने आतंकवाद, वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारत-जापान साझेदारी पर बेबाक राय रखी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आतंकवाद की बुराई किसी को नहीं छोड़ती, यह भेदभाव नहीं करती और हर इंसान को प्रभावित करती है। इसलिए ज़रूरी है कि आतंकवादी और उसके शिकार को समान न समझा जाए। उन्होंने वैश्विक मंच से भारत की यह प्रतिबद्धता दोहराई कि दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना होगा और भारत-जापान साझेदारी इस दिशा में बड़ी भूमिका निभा सकती है।
भारत ने हाल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के दर्द से जो कुछ सीखा, वही संदेश विदेश सचिव ने टोक्यो से पूरी दुनिया को दिया। उन्होंने कहा कि भारत जापान द्वारा किए जा रहे सहयोग की सराहना करता है और इस समय वैश्विक सहयोग आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का आधार बन सकता है।
भारत-जापान साझेदारी 21वीं सदी के लिए निर्णायक
विदेश सचिव ने भारत-जापान संबंधों को 21वीं सदी की सबसे अहम रणनीतिक साझेदारियों में एक बताया। उन्होंने कहा कि दोनों देश न केवल आर्थिक दृष्टि से, बल्कि समान मूल्यों और सिद्धांतों पर आधारित साझेदारी को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत-जापान सहयोग से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को स्थिरता और लचीलापन मिलेगा, जो वर्तमान संकटों के दौर में और भी जरूरी हो गया है।
भारत बना रहा वैश्विक निवेश का भरोसेमंद केंद्र
मिस्री ने कहा कि भारत ने विनिर्माण, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स में ऐतिहासिक सुधार किए हैं, जिससे विदेशी निवेश को बढ़ावा मिला है। 14 प्रमुख क्षेत्रों में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के ज़रिए करीब 520 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है, जिनमें कई जापानी कंपनियां शामिल हैं। भारत 2040 तक 200 से अधिक हवाई अड्डों के संचालन की योजना पर काम कर रहा है और शहरी गतिशीलता में जापान उसका प्रमुख भागीदार बना हुआ है। उन्होंने कहा कि एशिया के भौगोलिक, जनसांख्यिकीय और आर्थिक केंद्र के रूप में भारत के विकल्पों का हमारे महाद्वीप और उससे आगे के क्षेत्रों पर इन अशांत समयों में और भी अधिक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।