F-35 लड़ाकू विमान क्रैश (फोटो- सोशल मीडिया)
F-35 Jet Crash: अमेरिका लंबे समय से अपने F-35 लड़ाकू विमान को दुनिया का सबसे उन्नत और अत्याधुनिक फाइटर जेट बताकर उसकी खूबियों का जोर-शोर से प्रचार करता रहा है। हालांकि, हाल के वर्षों में इस विमान से जुड़ी लगातार दुर्घटनाओं ने इन दावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ताज़ा मामला अलास्का से सामने आया है, जहां एक बार फिर F-35 विमान दुर्घटना का शिकार हो गया है।
जानकारी के अनुसार, पायलट ने जेट को क्रैश होने से बचाने की हर संभव कोशिश की। यहां तक कि तकनीकी खराबी के बाद वह 50 मिनट तक हवा में इंजीनियरों के साथ कॉन्फ्रेंस कॉल पर खराबी को ठीक करने की कोशिश करता रहा, लेकिन अंत में कोई हल न निकलता देख पैराशूट की मदद से जेट से बाहर कूदकर अपनी जान बचाई।
पायलट ने जैसे ही इजेक्ट किया, फाइटर जेट हवा में ही लड़खड़ाता हुआ कटी पतंग की तरह जमीन पर आ गिरा। जमीन पर गिरते ही उसमें आग लग गई और जोरदार धमाका हुआ। हादसे के वक्त पास ही एक कार्गो प्लेन भी खड़ा था, लेकिन राहत की बात यह रही कि फाइटर जेट अन्य विमानों से दूर जाकर गिरा, जिससे बड़ा नुकसान टल गया। इस पूरी घटना का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें पायलट को पैराशूट के सहारे नीचे आते देखा जा सकता है।
An F-35 fighter jet crashed Tuesday on a flightline on Eielson Air Force Base around 1 pm local time. The pilot successfully ejected and survived 🙏
The 355th Fighter Squadron and the 356th Fighter Squadron are both based there. pic.twitter.com/GjlhN2Vj8P
— Thenewarea51 (@thenewarea51) January 29, 2025
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, विमान के नोज (आगे का हिस्सा) और मेन लैंडिंग गियर की हाइड्रोलिक लाइनों में बर्फ जम जाने के कारण वे काम नहीं कर पाए, जिससे यह गंभीर दुर्घटना हुई। यह घटना -18 डिग्री सेल्सियस तापमान में हुई थी। इस क्रैश के 9 दिन बाद, उसी एयरबेस पर एक अन्य जेट में भी बिल्कुल इसी तरह की हाइड्रोलिक आइसिंग की समस्या पाई गई, हालांकि उस जेट को सुरक्षित लैंड करा लिया गया था।
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इस लड़ाकू विमान को अमेरिका की प्रमुख रक्षा कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने विकसीत किया है। इसे बनाने में जल्दीबाजी और पानी की तरह पैसा बहाने को लेकर कंपनी को पहले ही कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। इसे दुनिया का सबसे महंगा लड़ाकू विमान माना जाता है। 2021 में जहां एक जेट की कीमत लगभग 135.8 मिलियन डॉलर थी, वहीं 2024 तक यह घटकर 81 मिलियन डॉलर पर आ गई है।