
मानवाधिकार हनन (सोर्स- सोशल मीडिया)
China Accused of violation of human rights by 15 Nations: संयुक्त राष्ट्र महासभा की 80वीं तीसरी समिति में, चीन के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर एक बार फिर वैश्विक समुदाय ने उंगली उठाई है। अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित 15 देशों के एक शक्तिशाली गठबंधन ने चीन सरकार की नीतियों की कड़ी निंदा की है। इन देशों ने विशेष रूप से शिनजियांग, तिब्बत और हांगकांग में मानवाधिकारों के व्यवस्थित हनन पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है।
अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे 15 प्रमुख देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) के मंच पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर गंभीर चिंता जताई है। इन देशों ने आरोप लगाया है कि चीन सरकार लगातार और व्यवस्थित तरीके से अपने नागरिकों के मानवाधिकारों का हनन कर रही है। यह आरोप 80वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीसरी समिति के दौरान लगाया गया, जिसमें एक मजबूत वैश्विक गठबंधन ने बीजिंग की दमनकारी नीतियों पर सवाल उठाए।
गठबंधन द्वारा दिए गए बयान में चीन सरकार पर कई गंभीर प्रथाओं की कड़ी निंदा की गई है। इनमें मनमानी हिरासत (Arbitrary Detention), जबरन काम (Forced Labour) और अवैध सामूहिक निगरानी (Illegal Mass Surveillance) जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। खबरों के अनुसार, चीन में अल्पसंख्यक समुदायों को लक्षित करके इन नीतियों को लागू किया जा रहा है। इन देशों ने चीन के भीतर धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता पर लगाए गए “महत्वपूर्ण अंकुश” को भी अस्वीकार्य बताया है।
बयान में उइगरों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों, तिब्बतियों, ईसाइयों और फालुन गोंग अभ्यासियों के खिलाफ हो रहे लगातार दुर्व्यवहार की विश्वसनीय रिपोर्टों पर विशेष जोर दिया गया है। इन समुदायों के साथ हो रहे व्यवहार को गंभीर और व्यवस्थित मानवाधिकार हनन करार दिया गया है।
बयान में बच्चों को उनके परिवारों से जबरन अलग करके राज्य-संचालित आवासीय स्कूलों में भेजने और सांस्कृतिक व धार्मिक स्थलों को नष्ट करने जैसी प्रथाओं का भी उल्लेख किया गया। ये कार्य अल्पसंख्यकों की पहचान और संस्कृति को मिटाने के प्रयास के रूप में देखे जा रहे हैं।
मानवाधिकारों के हनन की यह चिंता सिर्फ मुख्य भूमि चीन तक सीमित नहीं है। 15 देशों के समूह ने हांगकांग (Hong Kong) में नागरिक स्वतंत्रता (Civil Liberties) और कानून के शासन (Rule of Law) के “गंभीर रूप से क्षरण” पर भी चिंता व्यक्त की। हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू होने के बाद से राजनीतिक विरोधियों और कार्यकर्ताओं पर की गई कार्रवाई को इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है।
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अपने बयान के अंत में, इन 15 देशों ने चीन से तत्काल और बिना शर्त उन सभी व्यक्तियों को रिहा करने की मांग की, जिन्हें केवल उनके मानवाधिकारों का प्रयोग करने के लिए हिरासत में लिया गया है। उन्होंने बीजिंग से यह भी आग्रह किया कि वह अपने अंतरराष्ट्रीय कानूनी दायित्वों (International Legal Obligations) का पूरी तरह से पालन करे। यह वैश्विक दबाव एक स्पष्ट संकेत है कि चीन के मानवाधिकार रिकॉर्ड की अंतरराष्ट्रीय जांच और निंदा जारी रहेगी।






