ब्राजील में ड्रग माफिया पर पुलिस का सबसे बड़ा ऑपरेशन, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Brazil Police Operation: ब्राजील की राजधानी रियो डी जेनेरियो मंगलवार सुबह जंग के मैदान में तब्दील हो गई जब 2500 पुलिसकर्मियों ने हेलीकॉप्टर की मदद से एक साथ कई इलाकों में छापेमारी शुरू की। यह ऑपरेशन ड्रग माफिया संगठन रेड कमांड के खिलाफ चलाया गया था, जो देश के सबसे ताकतवर अपराध गिरोहों में से एक माना जाता है।
हालांकि, यह छापेमारी जल्द ही खूनी मुठभेड़ में बदल गई। पुलिस और रेड कमांड के बीच फायरिंग में अब तक 132 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें चार पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। सड़कों पर खून फैला हुआ है और कई शव घंटों तक पड़े रहे। स्थानीय लोगों ने पुलिस पर बल प्रयोग और बर्बरता के आरोप लगाए हैं। उन्होंने राज्यपाल से इस्तीफे की मांग करते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया है। लोगों का कहना है कि यह ऑपरेशन नहीं, बल्कि एक नरसंहार था। नागरिकों ने शवों को सड़कों पर रखकर विरोध जताया।
इस पूरे मामले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता बढ़ा दी है। संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने इस हिंसा को ‘नरसंहार’ बताते हुए इसकी निंदा की है। वहीं, ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गंभीर रुख अपनाया है और राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एलेक्जेंडर डी मोरेस ने राज्यपाल कास्त्रो को आदेश दिया है कि वे पूरे ऑपरेशन की जानकारी दें। कोर्ट ने अगले सोमवार को रियो में राज्यपाल, सैन्य और नागरिक पुलिस प्रमुखों को सुनवाई के लिए बुलाया है।
वहीं, पुलिस का कहना है कि उन्होंने यह अभियान ‘नारको-आतंकवाद’ के खिलाफ चलाया था। जैसे ही उनकी टीमें इलाके में पहुंचीं, रेड कमांड के सदस्यों ने गोलियां चलानी शुरू कर दीं। गैंग ने पुलिस को रोकने के लिए सड़कों पर जलते बेरिकेड लगाए और ड्रोन से बम गिराए। पुलिस के मुताबिक, रेड कमांड हाल के महीनों में नए इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा था और प्रतिद्वंदी गैंग थर्ड प्योर कमांड (TCP) के क्षेत्र में घुसपैठ कर रहा था। इसे रोकने के लिए कॉम्प्लेक्स दो अलेमाओ और कॉम्प्लेक्स दा पेन्हा जैसे इलाकों में बड़े पैमाने पर छापे मारे गए।
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रियो की सड़कों पर अब लाशें और गुस्सा दोनों बिखरे हैं। आम नागरिक सवाल उठा रहे हैं कि क्या हमें मौत की सजा दी जा रही है? कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है। यह अभियान अब ब्राजील की राजनीति और न्याय प्रणाली दोनों के लिए एक कठिन परीक्षा बन गया है। अदालतों और मानवाधिकार संस्थाओं की निगाहें अब इस मामले की जांच और जवाबदेही पर हैं।