बांग्लादेश में कट्टरपंथी जमात से गठबंधन पर NCP में फूट (सोर्स-सोशल मीडिया)
Bangladesh National Citizen Party Resignation: बांग्लादेश की राजनीति में उस समय बड़ा भूचाल आ गया जब नई पीढ़ी की उम्मीद मानी जाने वाली नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) ने कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के साथ हाथ मिलाने का संकेत दिया। इस फैसले के विरोध में पार्टी के संयुक्त सचिव मीर अरशादुल हक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे पार्टी के भीतर गहरी फूट उजागर हो गई है।
छात्र नेता नाहिद इस्लाम द्वारा स्थापित यह पार्टी कभी ‘धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक बांग्लादेश’ का वादा करती थी, लेकिन अब उस पर अपने मूल सिद्धांतों से भटकने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। आगामी फरवरी 2026 के चुनावों से पहले इस गठबंधन ने देशभर के युवाओं और उदारवादी समर्थकों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है।
नेशनल सिटीजन पार्टी की स्थापना फरवरी 2025 में इस उम्मीद के साथ की गई थी कि यह बांग्लादेश में एक नई राजनीतिक संस्कृति की शुरुआत करेगी। हालांकि, जमात-ए-इस्लामी जैसी कट्टरपंथी विचारधारा वाली पार्टी के साथ सीटों के बंटवारे की खबरों ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को हताश कर दिया है।
मीर अरशादुल हक ने अपने इस्तीफे में स्पष्ट किया कि पार्टी उन वादों को निभाने में विफल रही है जो जुलाई 2024 के विद्रोह के दौरान जनता से किए गए थे। उन्होंने नेतृत्व पर व्यक्तिगत हितों के लिए पार्टी की स्वतंत्र पहचान को गिरवी रखने का आरोप लगाया है।
जुलाई विद्रोह के प्रमुख चेहरों में से एक, अब्दुल कादेर ने सोशल मीडिया पर इस गठबंधन की तीखी आलोचना करते हुए इसे ‘यूथ पॉलिटिक्स की कब्र खोदना’ करार दिया है। उनके अनुसार, एनसीपी ने शुरुआत में जमात से 50 सीटों की मांग की थी जिसे बाद में घटाकर 30 कर दिया गया।
कादेर का दावा है कि इस सौदेबाजी के पीछे कुछ बड़े नेताओं की प्रधानमंत्री या नेता प्रतिपक्ष बनने की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं छिपी हैं। यह वही छात्र आंदोलन था जिसने शेख हसीना की सत्ता का अंत किया था, लेकिन अब आंदोलनकारी ही आपस में बंटते नजर आ रहे हैं।
यह भी पढ़ें: असीम मुनीर की मुराद पूरी, पाकिस्तानी एयरलाइंस भी उसके कब्जे में!
बांग्लादेश में फरवरी 2026 के संसदीय चुनाव बेहद करीब हैं और ऐसे में इस्लामिक पार्टियों का एकजुट होना एक बड़े राजनीतिक बदलाव की ओर इशारा कर रहा है। निर्वासन से लौटे तारिक रहमान की सक्रियता ने भी इस ध्रुवीकरण को हवा दी है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि एनसीपी और जमात का यह संभावित गठबंधन बांग्लादेश के उदारवादी समाज के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। जहां एक ओर BNP अपनी जमीन मजबूत कर रही है, वहीं दूसरी ओर युवा पार्टी का कट्टरपंथियों के साथ जाना नए बांग्लादेश के सपने को धुंधला कर रहा है।