लेखक सलमान रुश्दी व हमलावर हादी मातर (फोटो- सोशल मीडिया)
वाशिंगटन डीसी: भारतीय मूल के ब्रिटिश-अमेरिकी लेखक सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला करने वाले हादी मातर को अदालत ने 25 साल की सजा सुनाई है। यह फैसला 2022 में हुए उस दर्दनाक हमले के बाद आया है, जिसमें रुश्दी की एक आंख की रोशनी चली गई थी। अदालत ने फरवरी 2025 में आरोपी को दोषी ठहराया था। जब मंच पर भाषण दे रहे रुश्दी पर चाकू से हमला हुआ तो वहां सैकड़ों लोग मौजूद थे। यह घटना न केवल दुनिया को हिला देने वाली थी, बल्कि स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर भी सीधा हमला मानी गई। अब इस हमले के पीछे की मंशा और साजिश का खुलासा भी हुआ है।
अधिकारियों के मुताबिक, हमलावर हादी मातर आतंकवादी संगठन हिज़्बुल्ला के समर्थन में काम कर रहा था और उसने 1989 में जारी एक फतवे के कारण यह हमला किया। यह फतवा लेखक के एक विवादित उपन्यास के खिलाफ जारी हुआ था। अदालत में मातर ने खुद को निर्दोष बताया और रुश्दी पर पाखंड फैलाने का आरोप लगाया। हालांकि कोर्ट ने इन तर्कों को नकारते हुए अधिकतम सजा सुनाई और इसे सुनियोजित हमला माना।
चाकू से किए थे 12 वार, कोर्ट ने माना हत्या का प्रयास
अदालत में पेश ‘विक्टिम इम्पैक्ट स्टेटमेंट’ में बताया गया कि सलमान रुश्दी पर चाकू से 12 बार वार किया गया था। उन्हें लगा कि वे उस हमले में अपनी जान गंवा देंगे। जूरी ने आरोपी को हत्या के प्रयास में दोषी माना और 25 साल की सजा सुनाई। मंच पर मौजूद लेखक के एक सहयोगी को घायल करने के मामले में भी आरोपी को 7 साल की सजा सुनाई गई, जो साथ-साथ चलेगी।
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हमले के पीछे थी कट्टर विचारधारा
जांच में सामने आया कि हादी मातर का संबंध हिज़्बुल्ला से रहा है और उसने 1989 की उस फतवे के आधार पर यह हमला किया, जो लेखक के खिलाफ जारी की गई थी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक यह हमला सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि स्वतंत्रता और समाज के खिलाफ भी था। वहीं, बचाव पक्ष ने यह दलील दी कि आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं था और सजा को कम किया जाना चाहिए।