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शुभांशु शुक्ला ने किया प्रेस क्रॉन्फेंस, साझा किए अपने अंतरिक्ष अनुभव

Shubhanshu Shukla: भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से जुड़ी रोचक बातें साझा की। उन्होंने लैपटॉप के हवा में उड़ने और अचानक से मोबाइल फोन के भारी होने का एक किस्सा भी बताया।

  • By गीतांजली शर्मा
Updated On: Aug 02, 2025 | 12:50 PM

अंतरिक्ष से लौटने के बाद महसूस किए यह बदलाव

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Shubhanshu Shukla Press Conference: भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से वापस आ गए हैं। वह 25 जून को धरती से आईएसएस के लिए रवाना हुए थे। अपनी अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर वह 15 जुलाई को पृथ्वी पर लौट आए। ऐसी उम्मीद है कि अगस्त के दूसरे या तीसरे सप्ताह तक वे भारत लौट सकते हैं। अपने 20 दिनों के अंतरिक्ष मिशन और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 18 दिनों तक रहने की हर बात शुभांशु ने बताई।

शुभांशु शुक्ला ने पृथ्वी पर गुरूत्वाकर्षण के साथ तालमेल बिठाने के अपने अनुभवों के बारे में बताते हुए कहा कि धरती पर लौटते ही जैसे मैंने फोटो लेने के लिए मोबाइल मांगा, मोबाइल पकड़ते ही मुझे वह बहुत भारी लगा। साथ ही एक और घटना ने मेरे अंदर बड़ा बदलाव महसूस किया। बिस्तर पर बैठे हुए मैंने अपना लैपटॉप बंद किया और बिस्तर से किनारे खिसका दिया। मुझे ऐसा लगा कि लैपटॉप हवा में तैरता रहेगा। वो तो गनीमत रही कि फर्श पर कालीन बिछी थी, इसलिए लैपटॉप को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।

यात्रा का सबसे यादगार पल

क्रॉन्फ्रेंस में 41 साल बाद एक भारतीय के लौटने की बात एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने कही। उनका कहना है यह सिर्फ एक छलांग नहीं देश के दूसरे उड़ान की शुरूआत है। इस बार देश पूरी तरह से तैयार है, अंतरिक्ष मिशन की नई ऊंचाइयों को छूने के लिए। पूरी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान मेरा सबसे यादगार पल 28 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की गई मेरी बातचीत थी। बातचीत के दौरान उनके पीछे जो तिरंगा लहरा रहा था, उसने देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाह मेरे अंदर भर दी। मोदी जी की चाह थी कि मैं अंतरिक्ष मिशन की हर चीज रिकॉर्ड करूं, जो हमने वहां किया। उनकी बात को मानते हुए मैंने मिशन में बिताए हर पल को बहुत अच्छे से रिकॉर्ड किया।

एक्सियम-4 मिशन का बनें अहम हिस्सा

शुभांशु शुक्ला एक्सियम-4 मिशन का सबसे अहम हिस्सा थे। इस मिशन की एक सीट के लिए भारत ने 548 करोड़ रुपए चुकाए थे। यह एक प्राइवेट स्पेस फ्लाइट मिशन था। इस अंतरिक्ष मिशन को NASA और अमेरिकी स्पेस कंपनी एक्सियम की साझेदारी से लॉन्च किया गया था। यह कंपनी अपने स्पेसक्राफ्ट में अंतरिक्ष यात्रियों को ISS भेजती है। इस मिशन में किए गए प्रयोगों ने भारत के अंतरिक्ष मिशन को मजबूत किया है, जिसमें शुभांशु की अहम भागीदारी रही। शुभांशु शुक्ला को ISS में इंडियन एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स​​ के 7 प्रयोग करने थे, जिनमें अधिकतर बायोलॉजिकल स्टडीज के थे। उन्हें NASA के साथ ही 5 अन्य एक्सपेरिमेंट भी करने थे, जैसे लंबे अंतरिक्ष मिशन के लिए डेटा जुटाया जाना आदि।

41 साल बाद इतिहास की वापसी

आज से 41 साल पहले भारत के राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी। इस बार इतने सालों बाद अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस अंतरिक्ष मिशन के लिए चुना गया। शुभांशु की यह अंतरिक्ष यात्रा देश का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसका लक्ष्य भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित रूप से वापस लाना है। इस मिशन की 2027 में लॉन्च होने की पूरी संभावना है।

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लौटने में हुई चार दिन की देरी

शुभांशु जिस अंतरिक्ष मिशन के लिए निकले थे वह 25 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च हुआ था। यह ड्रैगन अंतरिक्ष यान 28 घंटे की यात्रा को पार कर 26 जून को ISS पर डॉक किया था। यह गगन मिशन कुल 14 दिनों का था लेकिन धरती पर लौटने में इसमें 4 दिनों की देरी हुई। इस मिशन के जरिए शुभांशु शुक्ला 14 जुलाई को धरती पर लौटे थे। इस मिशन के अंतर्गत 4 क्रू सदस्य ISS पहुंचे थे।

Astronaut shubhanshu shukla reason behind laptops floting

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Published On: Aug 02, 2025 | 10:07 AM

Topics:  

  • America
  • NASA
  • Shubhanshu Shukla

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