आसिम मुनीर बने फील्ड मार्शल फोटो (सो.सोशल मीडिया)
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को अब फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई है। यह सम्मान पाने वाले वह पाकिस्तान के दूसरे सैन्य अधिकारी बन गए हैं, इससे पहले यह दर्जा जनरल अयूब खान को मिला था। भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर और इसके बाद कुछ दिनों तक चले भारत-पाक युद्ध के तुरंत बाद यह प्रमोशन हुआ, जिसके बाद से इसके कारणों को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
पाकिस्तान के अंदर ही यह चर्चा जोरों पर है कि आसिम मुनीर की यह तरक्की प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ हुए एक गुप्त समझौते का हिस्सा है। माना जा रहा है कि इस समझौते का मकसद जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को राजनीति से दूर रखना है। इमरान खान अभी भी जनता के बीच खासे लोकप्रिय बने हुए हैं और अगर सेना और सरकार एकजुट होकर कदम उठाएं, तो उन्हें सत्ता में लौटने से रोका जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार, इमरान खान को सत्ता से दूर रखने की रणनीति के तहत पाकिस्तान में एक प्रकार की ‘हाइब्रिड सरकार’ चलाई जा रही है। इस व्यवस्था में जहां आर्थिक मामलों की जिम्मेदारी राजनीतिक नेतृत्व के पास है, वहीं युद्ध जैसे गंभीर मुद्दों पर अंतिम निर्णय सैन्य नेतृत्व द्वारा लिए जा रहे हैं। सत्ता संचालन को लेकर सेना और सिविल नेतृत्व के बीच एक आपसी समझ बनी हुई है, जिसका मुख्य उद्देश्य इमरान खान को राजनीतिक प्रक्रिया से दूर रखना है।
इसी आपसी सहमति के तहत जनरल आसिम मुनीर का प्रमोशन किया गया है। बताया जा रहा है कि इस प्रमोशन का एक अहम कारण यह भी है कि यदि भविष्य में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की विफलता को लेकर कोई सरकार उनके खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई करना चाहे, तो वह मुमकिन न हो सके।
जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान में फील्ड मार्शल के पद पर आसीन व्यक्ति को कोर्ट मार्शल से संरक्षण प्राप्त होता है, यानी उन्हें इस सजा से अलग रखा जाता है। इसी कारण शहबाज शरीफ की सरकार ने जनरल आसिम मुनीर को एक तरह से कानूनी सुरक्षा कवच प्रदान कर दिया है। बदले में, शहबाज शरीफ की सत्ता को बनाए रखने की जिम्मेदारी अब आसिम मुनीर पर आ गई है।
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दरअसल, आसिम मुनीर और इमरान खान के बीच पुराने मतभेद भी इस राजनीतिक समीकरण को प्रभावित कर रहे हैं। जब आसिम मुनीर आईएसआई प्रमुख थे, तब इमरान खान ने ही उन्हें इस पद से हटा दिया था। इसके बाद जब इमरान खान को गिरफ्तार किया गया, तो उन्होंने इसका ठीकरा आसिम मुनीर पर ही फोड़ा। इस तरह दोनों के बीच व्यक्तिगत दुश्मनी की भावना उभर आई है, और माना जा रहा है कि इमरान खान को जेल भेजने में सेना, खासकर आसिम मुनीर की प्रमुख भूमिका रही है।
यह भी कहा जा रहा है कि फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोशन आसिम मुनीर ने खुद ही ली है, लेकिन जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए इसे इस तरह पेश किया जा रहा है मानो सरकार ने उन्हें यह पद दिया हो। ऐसा इसलिए किया गया ताकि उन पर तानाशाही के आरोप न लगें। इमरान खान को हटाकर सत्ता में आए शहबाज शरीफ के लिए भी यह जरूरी था कि यह कदम सरकारी फैसले की तरह दिखे, वरना यह छवि बनती कि सेना अपने हिसाब से फैसले ले रही है। इसलिए सरकार के जरिए यह घोषणा करवाई गई कि आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाया जा रहा है।