श्रीलंका के कार्डिनल मैल्कम रंजीत, फोटो (सो, सोशल मीडिया)
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में सोमवार, 21 अप्रैल 2025 को निधन हो गया। उन्हें फरवरी में गंभीर निमोनिया के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद 38 दिनों में उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी, लेकिन बाद में उन्हें सांस संबंधी संक्रमण भी हो गया था। हालांकि, वे कुछ समय के लिए स्वस्थ हो गए थे, लेकिन सोमवार को अचानक स्ट्रोक आने से उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद नया पोप चुने जाने को लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।
इसी सिलसिले में श्रीलंका के कार्डिनल मैल्कम रंजीत का नाम भी संभावित उत्तराधिकारियों में लिया जा रहा है। अगर वे पोप चुने जाते हैं, तो यह पहली बार होगा जब कोई एशियाई नेता वेटिकन के सर्वोच्च पद तक पहुंचेगा।
कंजर्वेटिव रुख के कारण उन्हें विशेष ध्यान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोलंबो के आर्कबिशप कार्डिनल रंजीत का नाम फिलीपींस के कार्डिनल लुइस टैगले, फ्रांस के कार्डिनल ज्यां-मार्क एवेलिन और इटली के कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन जैसे प्रमुख नामों के साथ संभावित दावेदारों में शामिल किया गया है। कार्डिनल रंजीत को उनके पारंपरिक विचारों और वैश्विक दक्षिण (Global South) का प्रतिनिधित्व करने की वजह से एक “डार्क हॉर्स” माना जा रहा है। उनके कंजर्वेटिव रुख के कारण उन्हें विशेष ध्यान और समर्थन मिल रहा है।
पोप फ्रांसिस के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चा तेज हो गई है और इस रेस में कार्डिनल मैल्कम रंजीत का नाम सामने आना कई मायनों में अहम संकेत देता है। जानकारों का कहना है कि पोप की कुर्सी पर लंबे समय से यूरोप का वर्चस्व रहा है। जब पोप फ्रांसिस को पोप चुना गया था, तब उन्होंने सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए लैटिन अमेरिका से पहले पोप बनने का गौरव हासिल किया।
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अपने कार्यकाल में पोप फ्रांसिस ने कई बार परंपरागत सोच से हटकर फैसले लिए। LGBTQ समुदाय के प्रति उनका नजरिया हो या गाजा मुद्दे पर उनका स्पष्ट और साहसी रुख उन्होंने हर बार खुले तौर पर अपनी बात कही, जिससे उनका कार्यकाल हमेशा याद रखा जाएगा।
पोप के निधन के 20 दिन के भीतर चर्च के 138 ‘प्रिंसेज ऑफ चर्च’ में से 80 वर्ष से कम आयु वाले 120 कार्डिनल्स एक विशेष सभा, जिसे कॉन्क्लेव कहा जाता है, में भाग लेंगे। केवल वे कार्डिनल्स ही मतदान कर सकते हैं जो 80 साल से कम उम्र के हैं। जब तक नया पोप नहीं चुना जाता, तब तक रोज़ चार बार मतदान होगा। यदि 30 बार मतदान हो चुका हो और कोई निर्णायक बहुमत न मिला हो, तो फिर केवल शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच मतदान होगा। जो भी उम्मीदवार दो-तिहाई बहुमत प्राप्त करेगा, वही अगला पोप चुना जाएगा।