तुलसी गैबार्ड बोलीं- अब नहीं होंगे तख्तापलट, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
US Regime Change Policy: बहरीन में आयोजित वार्षिक सुरक्षा सम्मेलन मनामा डायलॉग में अमेरिकी नेता तुलसी गैबार्ड ने कहा कि अमेरिका अब अपनी पुरानी विदेश नीति से आगे बढ़ चुका है। उन्होंने साफ कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अब ‘रजीम चेंज’ यानी सत्ता परिवर्तन या नेशन बिल्डिंग (राष्ट्र निर्माण) की नीति समाप्त हो चुकी है।
गैबार्ड ने कहा कि अमेरिका अब कहीं भी तख्तापलट का इरादा नहीं रखता। हमने इस नीति पर दशकों तक खरबों डॉलर खर्च किए और अंत में सहयोगियों से ज्यादा दुश्मन बनाए। अब यह दौर खत्म हो गया है।
उन्होंने बताया कि पिछले 40 वर्षों में अमेरिका पर 7 देशों में तख्तापलट के आरोप लगे जिनमें पनामा (1989), हैती (1994 व 2004), अफगानिस्तान (2001), इराक (2003), होंडुरास (2009), लीबिया (2011) और बांग्लादेश (2024) शामिल हैं। गैबार्ड ने कहा कि लंबे समय तक अमेरिकी विदेश नीति सत्ता परिवर्तन और सैन्य हस्तक्षेप के चक्र में फंसी रही। उन्होंने माना कि इन कदमों से न सिर्फ क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ी, बल्कि अमेरिका की साख भी दुनिया में कमजोर हुई।
उन्होंने कहा कि हम उन संघर्षों में शामिल होते रहे जिन्हें हम पूरी तरह समझ भी नहीं पाते थे। हमने दूसरों पर अपना शासन तंत्र थोपने की कोशिश की और अंततः वहां अविश्वास पैदा किया। अब राष्ट्रपति ट्रंप ने इस रास्ते से हटने का फैसला लिया है। हालांकि, गैबार्ड ने यह भी स्वीकार किया कि मिडिल ईस्ट (मध्य-पूर्व) में ट्रंप प्रशासन के लिए कई गंभीर चुनौतियां बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि गाजा युद्धविराम अभी भी नाजुक है और ईरान की परमाणु गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बनी हुई हैं।
गैबार्ड ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि ईरान के परमाणु स्थलों पर नई गतिविधियां देखी गई हैं, जो संभावित खतरे का संकेत देती हैं। ट्रंप की नीति पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति अब लोकतंत्र को बढ़ावा देने, वैश्विक आर्थिक समृद्धि और क्षेत्रीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा आगे कहा कि अमेरिका अब विकास और स्थिरता के माध्यम से दुनिया में अपनी भूमिका निभाएगा न कि तख्तापलट या सैन्य दखल से।
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गैबार्ड का यह बयान ट्रंप के शुरुआती बयानों की पुनरावृत्ति है जिनमें उन्होंने स्पष्ट किया था कि उनका प्रशासन अब मिडिल ईस्ट में तख्तापलट नहीं करेगा बल्कि आर्थिक विकास और क्षेत्रीय स्थिरता पर फोकस करेगा।