अमेरिका ने UNESCO छोड़ने का ऐलान किया (फोटो- सोशल मीडिया)
US leaves UNESCO: अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने बड़ा फैसला लेते हुए संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक और शैक्षिक संस्था UNESCO को छोड़ने का ऐलान कर दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने राष्ट्रीय हितों के खिलाफ एजेंसी का कार्यप्रणाली और इजराइल विरोधी सोच को इस फैसले की वजह बताया है।
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, आज, संयुक्त राज्य अमेरिका ने UNESCO से बाहर होने का निर्णय लिया है। अमेरिका का मानना है कि यह संस्था अब निष्पक्षता के मार्ग से भटक गई है।
Today, the United States announced our decision to withdraw from UNESCO. Like many UN organizations, UNESCO strayed from its founding mission. Going forward, U.S. participation in international organizations must make America safer, stronger, and more prosperous.
— Tammy Bruce (@statedeptspox) July 22, 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समय से UNESCO पर इजरायल के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते आ रहे हैं। उनका मानना है कि UNESCO इजरायल के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अधिकारों को नकारते हुए एकतरफा रवैया अपनाता है। यह फैसला अगले साल दिसंबर से लागू होगा। अमेरिका ने यूएन की एजेंसी पर आरोप लगाया है कि ये अब इजराइल के खिलाफ प्रोपेगेडा का अड्डा बन गया है।
अमेरिका, इजराइल के साथ भेदभाव के अलावा, फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता दिए जाने से भी नाराज़ है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ब्रूस ने कहा कि यूनेस्को द्वारा फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्य बनाना न केवल अमेरिका की विदेश नीति के विपरीत है, बल्कि इससे संस्था के भीतर इज़राइल-विरोधी रुझानों को भी बल मिला है। उन्होंने इस निर्णय को बेहद चिंताजनक और समस्याग्रस्त बताया।
ये तीसरी बार है जब है जब अमेरिका UNESCO से बाहर हो रहा है। इससे पहले ट्रंप अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी UNESCO छोड़ने का ऐलान किया था। अमेरिका ने 2018 में यूनेस्को छोड़ा था। इसके बाद 2023 में जो बाइडेन प्रशासन ने फिर से इसका हिस्सा बना था।
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फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अमेरिका के UNESCO से हटने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि फ्रांस UNESCO को विज्ञान, महासागरों, शिक्षा, संस्कृति और विश्व धरोहर का एक वैश्विक संरक्षक मानता है और उसका पूर्ण समर्थन करता रहेगा। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि अमेरिका के इस कदम से न तो हमारा संकल्प कमजोर पड़ेगा और न ही इस मिशन से जुड़े लोगों की प्रतिबद्धता डगमगाएगी।