अफगानिस्तान में आया 4.1 तीव्रता का भूकंप (सोर्स-सोशल मीडिया)
National Center for Seismology: भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में एक बार फिर कुदरत का कहर देखने को मिला है जहां भूकंप के तेज झटकों ने लोगों को डरा दिया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार शुक्रवार सुबह रिक्टर स्केल पर 4.1 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया है।
भले ही अभी किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं मिली है लेकिन भूकंप की कम गहराई ने वैज्ञानिकों की चिंता को काफी बढ़ा दिया है। अफगानिस्तान का हिंदू कुश क्षेत्र दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों में से एक माना जाता है जहां अक्सर धरती हिलती रहती है।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) द्वारा जारी बयान के मुताबिक यह भूकंप शुक्रवार को आया जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.1 मापी गई। सबसे चिंताजनक बात यह रही कि इस भूकंप का केंद्र जमीन से केवल 10 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब भूकंप का केंद्र सतह के इतने करीब होता है तो उसके कंपन का प्रभाव बहुत ज्यादा महसूस किया जाता है और इसके बाद छोटे-छोटे झटके यानी ‘आफ्टरशॉक्स’ आने का खतरा भी बना रहता है। इससे पहले 15 दिसंबर को भी इसी क्षेत्र में 4.0 तीव्रता का झटका महसूस किया गया था।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो कम गहराई वाले भूकंप गहरे भूकंपों की तुलना में कहीं अधिक विनाशकारी साबित होते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि भूकंपीय तरंगों को जमीन की सतह तक पहुंचने के लिए बहुत कम दूरी तय करनी पड़ती है जिससे उनकी ऊर्जा कम नहीं होती।
इसके परिणामस्वरूप सतह पर कंपन बहुत तेज होता है जो पुरानी इमारतों और कमजोर बुनियादी ढांचे को आसानी से गिरा सकता है। गहराई जितनी कम होगी नुकसान की संभावना उतनी ही अधिक बढ़ जाती है इसलिए प्रशासन ने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
अफगानिस्तान भौगोलिक रूप से एक ऐसे स्थान पर स्थित है जहां कई टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में मिलती हैं। विशेष रूप से हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला के पास अक्सर शक्तिशाली झटके महसूस किए जाते हैं। हाल ही में 4 नवंबर को उत्तरी अफगानिस्तान में 6.3 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया था जिसमें करीब 27 लोगों की जान चली गई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे।
उस भूकंप ने कई ऐतिहासिक मस्जिदों और इमारतों को भी भारी नुकसान पहुंचाया था। संयुक्त राष्ट्र ने भी चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान प्राकृतिक आपदाओं के प्रति दुनिया के सबसे संवेदनशील देशों में से एक है।
यह भी पढ़ें: 9वीं मंजिल पर थे पत्रकार…उपद्रवियों ने नीचे लगा दी आग, महिला पत्रकार ने बताई खौफनाक दास्तान
अफगानिस्तान के लोग पहले ही दशकों के संघर्ष और बेहद खराब आर्थिक स्थिति से जूझ रहे हैं। बार-बार आने वाले ये भूकंप उन समुदायों के लिए स्थिति को और भी गंभीर बना देते हैं जिनके पास सुरक्षित घर और चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है।
संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (UNOCHA) के अनुसार अफगानिस्तान में न केवल भूकंप बल्कि भूस्खलन और मौसमी बाढ़ का खतरा भी लगातार बना रहता है। ऐसे में बार-बार आने वाले भूकंपीय झटके पुनर्निर्माण की कोशिशों को बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं।