ममता बनर्जी, राहुल गांधी और अमित शाह (फोटो- नवभारत डिजाइन)
New Dlehi News: ‘यह बिल भारत में लोकतांत्रिक युग को हमेशा के लिए समाप्त कर देगा। यह एक सुपर इमरजेंसी से भी बड़ा कदम है। यह देश की न्यायपालिका को की स्वतंत्रता को समाप्त कर देगा।’ ये तल्ख टिप्पणी लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए नए बिल पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने की। इस बिल के अनुसार आपराधिक आरोपों में घिरे ऐसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री स्वतः पद से हट जाएंगे। जो 30 दिन से अधिक किसी भी कारण से जेल में रहते हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के विरोध और हंगामे के बीच लोकसभा में बुधवार को ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025′ ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2025′ और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025′ पेश किए। बाद में उनके प्रस्ताव पर सदन ने तीनों विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का निर्णय लिया।
वहीं इससे पहले नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संविधान सदन में इंडिया गठबंधन के सासंदों को संबोधित करते हुए सीएम-पीएम और मंत्रियों को हटाने वाले बिल की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि सब जानते हैं कि ये बिल क्या है। ऐसा लग रहा है हम मध्यकालीन युग की तरफ वापस जा रहे हैं, जब राजा अपनी मर्जी से किसी को भी पद से हटा सकता था। लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया व्यक्ति क्या होता है। इस इसके कोई मायने नहीं हैं। चेहरा पसंद आए तो ठीक नहीं तो ईडी केस दर्ज करेगी और चुने हुए व्यक्ति की 30 दिन में छुट्टी। इसके लिए उन्होंने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का उदाहरण भी दिया।
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ने कहा बिल पर कहा कि ‘‘एक सुपर आपातकाल से भी बड़े, भारत के लोकतांत्रिक युग को हमेशा के लिए समाप्त करने की दिशा में उठाए गए कदम के तौर पर मैं इसकी निंदी करती हूं। यह दमनकारी कदम भारत में लोकतंत्र और संघवाद के लिए मृत्यु संकेत है।” उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए इस विधेयक का किसी भी कीमत पर विरोध किया जाना चाहिए। बनर्जी ने दावा किया कि यह विधेयक केंद्र सरकार को जनादेश में दखलंदाजी करने के लिए शक्ति देता है, तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई जैसे गैर-निर्वाचित प्राधिकारियों को निर्वाचित राज्य सरकारों के कामकाज में हस्तक्षेप करने के लिए व्यापक शक्तियां प्रदान करता है।
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केंद्र सरकार द्वारा लाए गए इस बिल के खिलाफ पूर्व से पश्चिम तक सभी विपक्षी दल एक साथ खिलाफत कर रहे हैं। वहीं केंद्र सरकार इस बिल के जरिए राजनीति को अपराध मुक्त बनाने की दलील दे रही है। हालांकि विपक्षी दलों को सरकार की दलीलों पर भरोसा नहीं है। वहीं एक धड़ा इस बिल को अरविंद केजरीवाल के जेल से सरकार चलाने की घटना से जोड़ कर देख रहा है। हालांकि संसद का मानसून सत्र आज खत्म हो गया। बिल जेपीसी के पास है। ऐसे में शीतकालीन सत्र में इस बिल संसद में फिर से चर्चा होगी।
सीएम-पीएम और मंत्रियों को हटाने वाले बिल पर विपक्ष का कहना है कि सरकार ईडी-सीबीआई व अन्य केंद्रीय एजेंसियों का हथियार की तरह इस्तेमाल करती है। इसमें भी सबसे ज्यादा बदनाम ईडी है। आरोप है कि सरकार ईडी के जरिए विपक्षी नेताओं को टारगेट करती है। यह बिल अगर कानून का रूप ले लेता है तो किसी भी राज्य में सरकार गिराना आसान हो जाएगा। देश में विपक्षी पार्टियों की राज्य सरकारें धड़ाधड़ गिरेंगी।