कोलकाता के सरकारी अस्पताल ने रचा इतिहास, फोटो- सोशल मीडिया
West Bengal News: कोलकाता के राज्य सरकार संचालित एसएसकेएम अस्पताल के डॉक्टरों की एक विशेष टीम ने एक बेहद जोखिम भरी ओपन हार्ट सर्जरी सफलतापूर्वक करके चिकित्सा इतिहास रच दिया है।
एसएसकेएम अस्पताल में हुई यह सर्जरी एक करीब पांच महीने की गर्भवती महिला और उसके गर्भस्थ शिशु की जान बचाने के लिए की गई। डॉक्टरों के अनुसार, यह पूर्वी भारत में किसी सरकारी संस्थान में पहली सफलता है।
कोलकाता के राज्य सरकार संचालित एसएसकेएम अस्पताल में डॉक्टरों की एक विशेष टीम ने एक दुर्लभ और बेहद जोखिम भरी ओपन हार्ट सर्जरी (open heart surgery) कर एक गर्भवती महिला और उसके अजन्मे बच्चे दोनों की जान बचाकर चिकित्सा इतिहास रच दिया है। अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन प्रो. डॉ. सुवेंदु शेखर महापात्रा ने बताया कि यह पूर्वी भारत में किसी भी सरकारी अस्पताल में इस तरह की पहली सफल सर्जरी बताई जा रही है। उन्होंने इसे “हमारे लिए गर्व का क्षण” भी बताया।
मरीज जबा बर्मन, उम्र 21 वर्ष कूचबिहार की रहने वाली हैं और उनकी शादी एक बैटरी रिक्शा चालक निताई बर्मन से हुई है। जबा को सितंबर में अचानक सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी। जांच के बाद पता चला कि उन्हें रप्चर्ड साइनस ऑफ वल्साल्वा (Ruptured Sinus of Valsalva) नामक दुर्लभ और जानलेवा हृदय रोग है। इस स्थिति में दिल की मुख्य रक्त वाहिका एऑर्टा (Aorta) का हिस्सा फट जाता है और दिल के अंदर असामान्य रक्त प्रवाह शुरू हो जाता है। यह स्थिति न केवल मां के लिए, बल्कि गर्भस्थ शिशु के लिए भी जानलेवा थी।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, जबा को उत्तर बंगाल के कूचबिहार से कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल रेफर किया गया। डॉक्टरों के अनुसार, जबा करीब पांच महीने की गर्भवती थीं और इस गंभीर परिस्थिति में भ्रूण की मृत्यु की संभावना 90 प्रतिशत तक थी। अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग ने पहले एक डिवाइस लगाकर ब्लड लीक रोकने की कोशिश की, लेकिन समस्या पूरी तरह खत्म नहीं हुई और जबा की तबीयत लगातार बिगड़ती गई।
उन्हें बुखार, पीलिया (jaundice) और एनीमिया जैसी जटिलताएं भी होने लगीं। इस बेहद जोखिम भरे मामले से निपटने के लिए, अस्पताल ने कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (CVTS), एनेस्थीसिया, परफ्यूजन और गाइनाकोलॉजी विशेषज्ञों की एक संयुक्त मेडिकल बोर्ड गठित की। इसके बाद डॉक्टरों ने बेहद जटिल ओपन हार्ट सर्जरी करने का निर्णय लिया।
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सर्जरी के दौरान, जबा को कार्डियोपल्मोनरी बाईपास मशीन पर रखा गया। इस प्रक्रिया में दिल को अस्थायी रूप से रोककर कृत्रिम रूप से रक्त संचार जारी रखा गया। विशेष रूप से, यह सुनिश्चित किया गया कि गर्भस्थ बच्चे को किसी भी तरह की हानि न पहुंचे। सर्जरी सफल रही। मुख्य सर्जन प्रो. डॉ. सुवेंदु शेखर महापात्रा ने बताया कि “यह जीत सरकारी चिकित्सा व्यवस्था की क्षमता दिखाती है”। जबा की हालत अब स्थिर है, और डॉक्टरों के अनुसार, गर्भस्थ शिशु में भी कोई तत्काल जटिलता नहीं दिखी है। यह मामला देश में बहुत दुर्लभ बताया गया है।