ममता बनर्जी, फोटो - सोशल मीडिया
कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार यानी 5 मई को दीघा स्थित जगन्नाथ मंदिर को लेकर उठे विवाद पर प्रतिक्रिया दिया है। सीएम ममता ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम पूरी श्रद्धा के साथ पुरी के जगन्नाथ मंदिर का भी सम्मान करते हैं और दीघा के मंदिर का भी। पूरे देश में काली मंदिर हैं, गुरुद्वारे हैं, हर जगह मंदिर होते हैं। फिर इस मुद्दे पर इतना गुस्सा क्यों?
दरअसल, विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब पश्चिम बंगाल सरकार ने हाल ही में उद्घाटन किए गए दीघा के मंदिर को जगन्नाथ धाम कहकर संबोधित किया। यह नाम पारंपरिक रूप से ओडिशा के पुरी स्थित 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के लिए इस्तेमाल होता है।
पुरी मंदिर के मुख्य सेवायत (Chief Servitor) दैतापति भावानी दास महापात्र ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे राजनीतिक स्टंट करार दिया। उन्होंने कहा, “हमारी धार्मिक परंपराओं और पुराणों में चार ही धाम माने गए हैं, जिसमें बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम और जगन्नाथ धाम (पुरी) शामिल हैं। इसके अलावा किसी भी स्थान को धाम कहना धार्मिक अपराध है।”
महापात्रा ने यह भी आरोप लगाया कि दीघा मंदिर के उद्घाटन से पहले न तो ओडिशा के किसी धार्मिक समुदाय से सलाह ली गई और न ही शास्त्र सम्मत प्रक्रिया अपनाई गई। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, “आपने मूर्तियां स्थापित कर दीं, नाम रख दिया और किसी से बात तक नहीं की। ये अति अहंकार का प्रतीक है।”
इस पर ममता बनर्जी ने सफाई देते हुए कहा कि दीघा के मंदिर में स्थापित मूर्तियां संगमरमर की बनी हैं और पुरी के मंदिर से नीम की लकड़ी चुराए जाने जैसे आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा, “किसी ने दैतापति से पूछा कि लकड़ी कहां से लाए, फिर एक नोटिफिकेशन जारी कर लोगों से दीघा का मंदिर न जाने की अपील कर दी गई। आखिर क्यों? इतनी तकलीफ क्यों हो रही है?”
गौरतलब है कि 250 करोड़ रुपये की लागत से 20 एकड़ जमीन पर बने दीघा जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 30 अप्रैल, 2025 को किया था। यह मंदिर पुरी के 12वीं सदी के ऐतिहासिक मंदिर की वास्तुकला से प्रेरित है और इसमें उन्हीं देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं।