वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट। (सोर्स - सोशल मीडिया)
Gender Option Issue : राजस्थान रोडवेज की एक बस में उस समय हंगामा हो गया जब ट्रांसजेंडर एडवोकेट रवीना सिंह ने टिकट में जेंडर विकल्प को लेकर आपत्ति जताई। जयपुर के दूदू इलाके में चल रही बस में कंडक्टर ने उन्हें टिकट देते समय केवल “पुरुष” और “महिला” में से एक विकल्प चुनने को कहा, क्योंकि मशीन में ट्रांसजेंडर का विकल्प मौजूद नहीं था।
रवीना सिंह ने सवाल उठाया- “जब मेरा अपना जेंडर है, तो मैं महिला या पुरुष के नाम पर टिकट क्यों लूं?” उन्होंने कहा कि यह ट्रांसजेंडर समुदाय की पहचान को नकारने जैसा है। इसके बाद बस में मौजूद यात्रियों के बीच भी चर्चा शुरू हो गई और माहौल तनावपूर्ण हो गया।
टिकट मशीन में विकल्प न होने की बात पर कंडक्टर ने कहा कि वह नियमों के अनुसार ही टिकट जारी कर सकता है और मशीन में बदलाव उसके बस में नहीं है। इस बात पर रवीना नाराज़ हो गईं और बहस बढ़ने लगी। स्थिति बिगड़ती देख कंडक्टर बस को यात्रियों सहित सीधे दूदू थाने ले गया। पुलिस अधिकारियों ने दोनों पक्षों की बात सुनी और उन्हें शांत कराया।
वहीं, रोडवेज कंट्रोल रूम जयपुर के सहायक अधिकारी प्रमोद जैन ने स्पष्ट किया कि अभी राजस्थान रोडवेज में ट्रांसजेंडर कैटेगरी का नियम लागू नहीं हुआ है। यदि सरकार आदेश जारी करती है, तो टिकट मशीनों में यह विकल्प जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि भारतीय रेल में पहले से ट्रांसजेंडर कैटेगरी उपलब्ध है।
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ट्रांसजेंडर वकील रवीना सिंह की कहानी भी प्रेरणादायक है। पाली जिले के सोजत कस्बे में जन्मीं रवीना बचपन में रविंद्र सिंह के नाम से पहचानी जाती थीं। जेंडर परिवर्तन के बाद उन्होंने रवीना सिंह नाम अपनाया और अपनी पढ़ाई पूरी की। उन्होंने बीकानेर से एलएलबी की डिग्री हासिल की और 2 अगस्त 2025 को महिला अधिवक्ता के रूप में राजस्थान बार काउंसिल में पंजीकरण कराया।
वे राजस्थान हाईकोर्ट की पहली ट्रांसजेंडर वकील हैं। यह घटना फिर एक बार सवाल उठाती है कि सार्वजनिक सेवाओं में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए समान सुविधाएं कब तक सुनिश्चित होंगी।