सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पोस्ट का स्क्रीनशॉट।
Ireland vs India : आयरलैंड में तीन साल बिताने के बाद भारत लौटे एक एनआरआई ने अपने एक्स अकाउंट पर ऐसी बातें लिखीं, जिन पर सोशल मीडिया पर बड़ी चर्चा शुरू हो गई है। अकाश तिवारी नाम के इस युवक ने बताया कि विदेश में रहकर जिन चीज़ों की उसने कभी चिंता नहीं की, वही भारत आने पर उसकी सबसे बड़ी दिक्कत बन गई हैं।
उन्होंने पोस्ट की शुरुआत बिजली से की और कहा कि कानपुर में रोजाना 4–5 घंटे की कटौती हो रही है। यहां तक कि जिस वक्त वह यह पोस्ट लिख रहे थे, उस समय भी उनके घर में बिजली नहीं थी। इसके मुकाबले उन्होंने बताया कि आयरलैंड के डबलिन में तीन साल में सिर्फ एक बार 15 मिनट के लिए बिजली गई थी, वह भी मीटर बदलने के लिए और उसकी जानकारी कंपनी ने एक महीने पहले दे दी थी।
Moving back to India 🇮🇳 has brought so many issues in my life, that I never had to worry about in Ireland 🇮🇪 1. Electricity: I am in Kanpur, and on an average there’s a power cut for 4-5 hours everyday. We don’t have electricity even at the time of writing this. In Dublin, over… — Akash Tiwari (@akashtiwari1007) December 6, 2025
इसके बाद अकाश ने भारत की हवा की खराब गुणवत्ता का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि आयरलैंड की साफ और स्वच्छ हवा के बाद भारत का प्रदूषण उन्हें झटका दे गया। धुंध, स्मॉग और भारी प्रदूषण के बीच सांस लेना भी मुश्किल महसूस होता है। उन्होंने यह भी बताया कि इससे उनकी दिनचर्या और सेहत पर असर पड़ रहा है।
तीसरा बड़ा मुद्दा उन्होंने ट्रैफिक का बताया। अकाश के मुताबिक भारत का “मैड ट्रैफिक और हॉर्निंग कल्चर” रोजाना तनाव देने वाला अनुभव है। उन्होंने कहा कि यह केवल आबादी की वजह से नहीं, बल्कि अनुशासन की कमी, खराब प्लानिंग और जिम्मेदारी निभाने में ढिलाई का नतीजा है। उनके अनुसार, सड़क पर शोर, भीड़ और अनुशासनहीनता लगातार परेशान करती है।
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अकास की पोस्ट का सबसे चर्चित हिस्सा वह लाइन रही, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत की ये ज्यादातर समस्याएं “मानव-निर्मित” हैं और असल में इन्हें होना ही नहीं चाहिए। उन्होंने लिखा कि बिजली कटौती, प्रदूषण और ट्रैफिक जैसी बुनियादी समस्याएं लोगों को जीवन की ज़रूरी चीज़ों और आत्म-विकास से दूर कर देती हैं। उनकी पोस्ट पर हजारों लोगों ने प्रतिक्रिया दी।
कई लोगों ने उनकी बातों से सहमति जताई और कहा कि इतनी टैक्स देने के बाद भी बिजली-पानी जैसी बेसिक जरूरतों के लिए लड़ना पड़ता है। वहीं कुछ ने उन्हें आलोचना करते हुए कहा कि भारत लौटते ही यूरोप जैसी उम्मीदें करना ठीक नहीं। कई एनआरआई ने अपने अनुभव साझा किए, जबकि कई भारतीयों ने कहा कि देश धीरे-धीरे सही दिशा में बढ़ रहा है।