योगी आदित्यनाथ फोटो सोर्स-सोशल मीडिया
UP CM Yogi Adityanath: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाया है। राज्य में आंवारा गऊ माताओं के गोबर से बायोप्लास्टिक, जैव-पॉलिमर, बायो टेक्सटाइल, वस्त्र, इको-पेपर, बोर्ड, बायोगैस, कंपोस्ट और नैनो सेल्यूलोज जैसे उत्पाद तैयार किए जाएंगे। जानकारी के अनुसार प्रदेश में निराश्रित गोवंश से हर रोज औसतन 54 लाख किलोग्राम गोबर उत्पन्न होता है, जिसका उपयोग इन उत्पादों को बनाने में किया जाएगा।
गोबर की मदद से वैज्ञानिक पद्धति के जरिए न केवल प्लास्टिक के विकल्प तैयार किए जाएंगे, बल्कि पर्यावरण को प्रदूषण से बचाया भी जाएगा। साथ ही जैव संरक्षण को भी नया बल मिलेगा। सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 8 साल में प्रदेश ने विकास के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।
‘हर गांव ऊर्जा केंद्र’ मॉडल की पद्धति के तहत गऊ सेवा योजना विकसित की गई है। इस बात की जानकारी गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता ने दी। इसमें गोबर आधारित बायोगैस से ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ जैविक/प्राकृतिक खेती, ग्रामीण रोजगार और गोशालाओं की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
गो-सेवा आयोग के ओएसडी डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि इस योजना की तकनीकी सलाहकार डॉ. शुचि वर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर (बायोटेक्नोलॉजी), रामजस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय हैं। डॉ. वर्मा ने गोबर से बायोप्लास्टिक निर्माण की नई तकनीक विकसित की है। आयोग में उन्होंने अपने किए गए शोधों पर व्याख्यान भी दिए हैं।
इस योजना की मदद से लाखों ग्रामीण युवाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं ग्रामीण महिलाएं भी लघु उद्योग में अपने हाथ आजमा सकेंगी। इनके लिए भी रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। इस नई योजना के विकास से प्रदेश सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी। गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा और गांवों को आर्थिक रूप से मजबूत करने की दिशा में यह कदम महत्वपूर्ण साबित होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में गोवंश संरक्षण शामिल है। इस नई पहल से न केवल प्लास्टिक प्रदूषण पर रोक लगेगी, बल्कि उत्तर प्रदेश पर्यावरण संरक्षण की दिशा में राष्ट्रीय ही नहीं अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी आदर्श पहचान स्थापित करेगा।
(एजेंसी इनपुट के साथ)