(डिज़ाइन फोटो)
बहराइच : उत्तर प्रदेश के बहराइच में आखिरी आदमखोर भेड़िये की सरगर्मी से तलाश के बीच महसी तहसील के मैगला गांव में एक फार्म हाउस के पास नए चार भेड़ियों का झुंड देखा गया। हालांकी स्थानीय लोग भेड़ियों के इस नए झुंड में एक लंगड़ा भेड़िया होने का भी दावा कर रहे हैं, जिसके बारे में माना जा रहा है कि वह आदमखोर झुंड का वही भेड़िया है जिसकी वन विभाग को तलाश है।
इस बाबत प्रभागीय वन अधिकारी अजीत प्रताप सिंह का कहना है कि ऐसा नहीं लगता कि इस नये झुंड में आदमखोर भेड़िया शामिल होगा। उन्होंने आशंका जताई कि भेड़ियों का यह झुंड अगर नरभक्षी नहीं है, फिर भी इसे पकड़ने की कवायद हुई तो इसके सदस्य भेड़िये भी बदले की भावना से इंसानों पर हमलावर होकर एक नयी समस्या खड़ी कर सकते हैं।
यहां पढ़ें – भारत को लेकर ट्रंप का क्या है रवैया, पीएम मोदी की करते हैं तारीफ और देश पर साधते हैं निशाना
खबर है कि BJP के विधान परिषद सदस्य पदमसेन चौधरी के फार्म हाउस पर बुधवार शाम चार भेड़ियों का एक झुंड देखा गया, जिनमें से एक भेड़िया लंगड़ा बताया जा रहा है। जिस स्थान पर भेड़ियों का नया झुंड दिखाई दिया वह भेड़ियों के आतंक को लेकर सर्वाधिक संवेदनशील सिसैया चूरामनि गांव से मात्र पांच किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
इस बाबत पदमसेन चौधरी ने आज बताया, ‘‘बीते बुधवार शाम चार बजे ग्रामीणों को चार भेड़ियों का एक झुंड हमारे आम के बगीचे में दिखाई दिया है, इनमें एक भेड़िया लंगड़ा है। ग्रामीणों ने भेड़ियों को घेरना शुरू किया तो वे हमारे मक्के के खेत से होते हुए पड़ोसी के खेत में चले गये। अब संभवतः किसी खेत में ही भेड़िए छिपे हैं। थोड़ी देर बाद अंधेरा होने पर भेड़िए दिखना बंद हो गये थे।इसी स्थान के नजदीक भेड़ियों की एक मांद भी है। बारिश के कारण व नदियों का जलस्तर बढ़ने से अक्सर जंगली जानवर बाहर निकल आते हैं।”
यहां पढ़ें – कोलकाता केस : डॉक्टरों की हड़ताल जारी, चीफ सेक्रेटरी के साथ ढाई घंटे चली बैठक बेनतीजा
इस संबंध में DFO अजीत प्रताप सिंह ने बताया, ‘‘महसी तहसील के रामगांव थाना क्षेत्र के कुछ गांवों में भेड़िये दिखने की सूचना मिली है। जिस अधिकारी को घटनास्थल पर भेजा गया था उनके अनुसार भेड़ियों के पैरों के निशान जरूर मिले हैं, लेकिन उनकी गतिविधियों से ऐसा नहीं लगता कि इस झुंड में उपद्रवी आदमखोर भेड़िया शामिल होगा।”
DFO ने कहा, ‘‘भेड़ियों का यह झुंड अगर नरभक्षी नहीं है, फिर भी इसे पकड़ने की कवायद हुई तो इसके सदस्य भेड़िए भी पहले वाले झुंड की तरह बदले की भावना से इंसानों पर हमलावर होकर एक नयी समस्या खड़ी कर सकते हैं। तब स्थितियां और भी खराब हो सकती हैं।’पिछले दिनों छह भेड़ियों का एक झुंड आदमखोर हो चुका था जिसके पांच सदस्य पकड़े जा चुके हैं और आखिरी बचे भेड़िये की तलाश की जा रही है। वो भी कुछ आरंभिक गलतियों के कारण ही नरभक्षी हुए होंगे। आमतौर पर भेड़िए नरभक्षी नहीं होते और अब यह शोध का विषय है कि भेड़ियों का वह झुंड किस गलती की वजह से आदमखोर हुआ था।”
DFO अजीत प्रताप सिंह ने कहा, ‘‘फिलहाल हम बुधवार को दिखे भेड़ियों वाले इलाके पर भी पूरी नजर रखकर इसकी जांच करा रहे हैं। जांच के बाद ही निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि ये किस प्रकृति के भेड़िए हैं।”
गौरतलब है कि बहराइच के महसी तहसील अंतर्गत घाघरा नदी के कछार में स्थित 50 गांवों के हजारों नागरिक भेड़ियों के हमलों से दहशत में हैं। पिछली 17 जुलाई से इन जानवरों के हमले में सात बच्चों सहित आठ लोगों की मौत हो चुकी है जबकि करीब 36 लोग भेड़िए अथवा अन्य जानवरों के हमलों से घायल हुए हैं। इन गांवों में दहशत का आलम यह है कि महिलाएं अपने छोटे बच्चों को अपने शरीर के साथ साड़ी से बांधकर सो रही हैं, वहीं पुरुष रात रात भर जागकर पहरा दे रहे हैं।
वन विभाग के 165 लोग, 18 शार्प शूटर, सैकड़ों की संख्या में पुलिस व पीएसी जवान, राजस्व तथा अन्य विभागों के कर्मी, ग्रामीणों की टीम दिन रात मुस्तैद रहकर भेड़िए को पकड़ने के अभियान में जुटी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि अगर आखरी आदमखोर भेड़िया पकड़ा ना जा सके और वह हमलावर होता दिखे तो अंतिम विकल्प के तौर पर उसे ‘‘गोली मार दी जाए”। उन्होंने समस्या के समाधान तक अभियान जारी रखने के आदेश दिए थे।
(एजेंसी इनपुट के साथ)