आमिर अरफात, अखिलेश यादव (फोटो-सोशल मीडिया)
Seetapur News: उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में सपा ने भाजपा के साथ खेल कर दिया। महमूदाबाद नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में सपा प्रत्याशी जीत दर्ज कर समाजवादी परचम फहरा दिया है। वहीं भाजपा पहले-दूसरे नंबर पर भी नहीं टिक पाई। सीधे पांचवें नंबर पहुंच गई, यहां तक निर्दलीय प्रत्याशियों ने भाजपा के उम्मीदवार से ज्यादा वोट हासिल किए।
भाजपा की यह हार महज नगर पालिका के चुनाव में हार से कहीं ज्यादा आंकी जा रही है। क्योंकि इस चुनाव में प्रचार के लिए दौरान मंत्रियों व वरिष्ठ नेताओं ने ताकत झोंकी थी। इसके अलावा सीतापुर राजधानी लखनऊ से लगा हुआ जिला है। इसलिए सपा इस जीत को बढ़ाचढ़ा कर पेश कर रही है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इस जीत को मनोबल बढ़ाने वाली जीत मान रहे हैं।
चुनाव परिणाम की बात करें तो भाजपा प्रत्याशी महज 1,352 वोट मिले और पांचवें स्थान पर रहे कांग्रेस, निर्दलीयों और बागी उम्मीदवारों ने भी भाजपा को पीछे छोड़ दिया। सपा के प्रत्याशी आमिर अरफात ने 8,906 वोट पाकर जीत दर्ज की। चुनावी नतीजों के सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर आमिर अरफात को बधाई देते हुए लिखा कि यह जीत समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने वाली है। भाजपा का पांचवे नंबर पर आना भविष्य की राजनीति का सूचक है।
सीतापुर के महमूदाबाद नगर पालिका चुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत मनोबल को बढ़ानेवाली है। भाजपा का 5 वें नंबर पर आना उप्र की भविष्य की राजनीति का सूचक है।
विजयी उम्मीदवार सहित समस्त पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं को हार्दिक बधाई और अच्छा काम करने के लिए शुभकामनाएँ!
भाजपा गयी!
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 13, 2025
गौरतलब है कि सीतापुर जिले के महमूदाबाद और मिश्रिख नगर पालिका परिषदों के अध्यक्षों का निधन हो गया था। इस लिए दोनों सीटो पर उपचुनाव कराए गए थे। महमूदाबाद सीतापुर जिले की दृष्टि से काफी अहम मानी जाती है। यहां से भाजपा ने पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष व पूर्व सांसद राजेश वर्मा के करीबी संजय वर्मा को टिकट दिया था। शुरू से ही कैंडिटेड सेलेक्शन को लेकर विवाद चल रहा था। संगठन में लंबे समय से सक्रिय कार्यकर्ताओं को दर किनाकर संजय वर्मा को टिकट भाजपा ने दिया था। कैंडिडेट सेलेक्शन ने भाजपा कार्यकर्ताओं में गुटबाजी को जन्म दे दिया था। वहीं कुछ बागी भी हो गए थे। इस वजह से भाजपा करारी हार झेलनी पड़ी।
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इस चुनाव में भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी थी। वरिष्ठ नेताओं एवं सरकार के मंत्रियों ने कैंप लगाकर प्रत्याशी के लिए वोट मांगा था। विपक्ष द्वारा आरोप लगाया गया कि चुनाव में प्रशासनिक दबाव और शक्ति प्रदर्शन जैसे हथकंडे अपनाए गए। चुनाव के अंतिम चरण में भाजपा नेताओं द्वारा विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओं को डराने धमकाने के वीडियो भी वायरल हुए। पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठे , इसके बावजूद भी स्थानीय जनता ने सत्ता के शक्ति को नाकार दिया।