शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद और संविधान (फोटो-सोशल मीडिया)
वाराणसी: अपनी बेबाकी के लिए चर्चा में रहने वाले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने संविधान और मनुस्मृति टिप्पणी की है। वराणसी के केदार घाट में स्थित विद्यामठ में मनुस्मृति का प्रवचन चल रहा है। यह प्रवचन शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा दिया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने मनुस्मृति, संविधान और आरक्षण पर टिप्पणी की है।
शंकाराचार्य ने कहा कि ‘बाबा साहेब अंबेडकर ने मनुस्मृति नहीं जलाई थी। यह तथ्य एक भ्रांति है। वास्तव में मनुस्मृति को गंगाधर सहस्रबुद्धे नाम के एक ब्राह्मण ने जलाया था। हां अंबेडकर जी उस समय वहां उपस्थित थे।’
संविधान से खुद जलाना चाहते थे बाबा साहब
अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रवचन में कहा कि बाबा साहब भीम राव अंबेडर संविधान से स्वयं असंतुष्ठ थे और उसे जलाना चाहते थे। जब उनसे पूछा गया कि आपने ने ही संविधान का निर्माण किया। अब उसे जलाना क्यों चाहते हैं। इस सवाल का के जवाब में उन्होंने कहा कि संविधान रूपी मंदिर देवाताओं के लिए बनाया था, लेकिन वहां शैतान जाएं तो क्या किया जाए।
आरक्षण और अबेंडकरवादियों पर की टिप्पणी
शंकाराचार्य ने अबेंडकरवादियों पर सिर्फ आरक्षण लेने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अंबेडकरवादी उनके विचारों को आगे नहीं बढ़ा रहे हैं। उनकी प्रतिमा लगाकर सिर्फ आरक्षण का लाभ ले रहे हैं। आगे शंकराचार्य ने कहा कि अंबेडकर ने स्वयं कभी आरक्षण का लाभ नहीं लिया, बल्कि उन्होंने अपनी मेहनत से सब किया और आप लोग उनके विचारों को नहीं मान रहे हैं। बाबा साहब ने संविधान में आर्टिकल 377 को रखा। समलैंगिकता को अपराध माना गया, फिर उनको मानने वाले ही लोग समलैंगिकता को सही ठहरा रहे हैं।
अंबेडकरवादियों को भ्रम नहीं फैलाना चाहिए
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि आंबेडकरवादी लोगों को बाबा साहब के मूल उद्देश्यों को समझते हुए आगे आना चाहिए, न कि भ्रम फैलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ही ऐसा धर्म है जिसमें न्याय के मामले में किसी के साथ पक्षपात नहीं होता। यदि बेटा भी दोषी हो तो उसे भी वही दण्ड दिया जाता है।