यूपी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर (फोटो- सोशल मीडिया)
इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में कथावाचकों के साथ हुई मारपीट का मामला थमता नजर नहीं आ रहा है। कथावाचकों की पिटाई, सिर मुंडवाने और वीडियो वायरल होने के बाद अब इस मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। इस विवाद में अब यूपी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी कूद पड़े हैं। उन्होंने विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि हर जाति का काम तय है, यादवों को ब्राह्मणों का काम नहीं करना चाहिए।
ओपी राजभर ने इटावा की घटना की निंदा तो की, लेकिन साथ ही उन्होंने समाज में जातियों की भूमिका पर सवाल भी खड़े कर दिए। उनका कहना था कि “ब्राह्मणों का कार्य शादी, पूजा-पाठ और संस्कारों का है। अगर यादव यह सब करेंगे, तो यह दूसरे के अधिकार पर कब्जा होगा।” उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग दो-दो आधार कार्ड बनवाकर दूसरों के अधिकारों में सेंध लगा रहे हैं, जिससे सामाजिक असंतुलन पैदा हो रहा है।
पीड़ित कथावाचकों से मिले अखिलेश
21 जून को इटावा के दांदरपुर गांव में कथावाचक मुकुट मणि यादव और संत कुमार यादव के साथ कथित रूप से जाति छिपाकर कथा करने और महिला से छेड़छाड़ के आरोप में मारपीट की गई। संत यादव का सिर भी मुंडवाया गया। मामला तब सुर्खियों में आया जब वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।
23 जून को पुलिस ने चार ब्राह्मण युवकों को गिरफ्तार किया, लेकिन इसके बाद कथावाचकों के खिलाफ भी शिकायत दर्ज हुई। मामला बढ़ने पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पीड़ितों से मुलाकात की और उन्हें सम्मानित किया। इस बीच बड़ी संख्या में ‘अहीर रेजिमेंट’ से जुड़े लोगों ने गांव में घुसने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा।
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सामाजिक समरसता या जातीय सीमाएं?
ओपी राजभर का बयान ऐसे समय आया है जब राज्य में जातिगत तनाव के हालात और राजनीति दोनों गरमाए हुए हैं। उनका कहना है कि “हर वर्ग को अपने हिस्से का काम करना चाहिए और दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।” इस बयान के बाद सियासी हलकों में बहस छिड़ गई है कि क्या यह सामाजिक समरसता की ओर बढ़ने के बजाय जातियों को उनके पुराने ढांचे में ढकेलने की कोशिश है?