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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Deputy Chief Minister Keshav Prasad Maurya) के नेतृत्व में अंत्योदय के लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (Uttar Pradesh State Rural Livelihood Mission) दिन प्रतिदिन ग्रामीण क्षेत्र की दीदियों को संगठित करते हुए समावेशी विकास की दिशा में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा हैं। उप मुख्यमंत्री की पहल पर इसी क्रम में देश की 50 हजार ग्राम पंचायतों (Gram Panchayats) में डिजिटल ट्रांजेक्शन (Digital Transaction) को बढ़ावा देने के लिए ‘समर्थ’ कार्यक्रम के तहत दो दिवसीय कार्यक्रम इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में किया जा रहा है, जिसका शुभारंभ निदेशक राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन राघवेन्द्र सिंह व मिशन निदेशक राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन सी. इन्दुमती द्वारा किया गया। जिसमें विभिन्न राज्यों से आईं समूहों की दीदियों ने अपने अनुभव साझा किए। बुधवार को मिशन निदेशक राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन सी. इंदुमती की अध्यक्षता में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने पर राष्ट्र स्तरीय कॉन्क्लेव ‘समर्थ’ का आयोजन इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के सभागार में किया गया।
मिशन निदेशक सी. इंदुमती ने सभी का स्वागत करते हुए मिशन की प्रमुख घटकों में प्रगति और स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को डिजिटल नवाचारों से जोड़ने सम्बन्धित विस्तृत प्रगति रिपोर्ट साझा करते हुए जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में देश में डिजिटल लेन देन तेजी से बढ़ा है और इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण बैकिंग करेस्पांडेंट सखी हैं। आज देश के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य में डिजिटल फाइनेंस वाणिज्य एवं व्यापार को नए आयाम प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाओं को घर-घर पहुंचाने के लिए 20 मई को प्रत्येक ग्राम पंचायत में बैंकिंग सखी तैनात करने का दूरगामी निर्णय लिया गया था।
सी. इदुमती ने कहा कि प्रदेश में कुल 35,963 बीसी सखी कार्यरत हैं तथा उनके द्वारा प्रदेश में कुल तेरह हजार चार सौ पैंसठ करोड़ रुपए का वित्तीय लेन-देन हुआ है, जो देश में बीसी सखियों द्वारा किए गए वित्तीय लेन-देन का 25 प्रतिशत है। इससे उत्तर प्रदेश में डिजिटल फाइनेंस को प्रोत्साहित करने की अहम भूमिका स्पष्ट होती है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में कार्य कर रहीं बीसी सखियों द्वारा इस वित्तीय लेन-देन से लगभग 35.23 करोड़ रुपए का लाभांश अर्जित किया गया है। 60,000 रुपए से अधिक आय वाली बीसी सखियों की संख्या-1396 है और एक लाख से अधिक आय वाली बीसी सखियों की संख्या 682 है।
गौरतलब है कि उप मुख्यमंत्री/ग्राम्य विकास मन्त्री उत्तर प्रदेश सरकार केशव प्रसाद मौर्य ने जब से विभाग की बागडोर संभाली है तब से महिला सशक्तिकरण और महिला स्वावलंबन के क्षेत्र में प्रदेश में अनेक उल्लेखनीय और उत्कृष्ट कार्य हुए हैं। बीसी सखियों को अधिक से अधिक प्रोत्साहन दिया गया। उनकी हौसला अफजाई की गयी। परिणाम स्वरूप बीसी सखियों ने ऐसे उत्कृष्ट कार्य किए हैं। उत्तर प्रदेश में भी बीसी सखी, ग्रामीण क्षेत्र में एक तरह से मोबाइल बैंक साबित हो रही हैं। इसी तरह विद्युत सखियां भी विद्युत बिलों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने व बालों का भुगतान कराने में अहम भूमिका का निर्वहन कर रही हैं। विद्युत सखियों की आय में भी बहुत बड़ा इजाफा हुआ है।
सी. इन्दुमती ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य देश के प्रत्येक ग्राम में वित्तीय सुविधाओं की पहुंच को सुनिश्चित करने की पहल को केन्द्रित करते हुए एनआरएलएम द्वारा वित्तीय सेवायों को ग्रामीण घरों के दरवाजों तक पहुंचाने के संकल्प को सुदृढ़ करना है। बीसी सखी प्रदेश में महिला सशक्तिकरण एवं ग्रामीण महिलाओं के मध्य डिजिटल लिट्रेसी का सबसे बड़ा उदाहरण है। इस पहल की केवल महिला सशक्तिकरण में ही नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका है। बीसी सखियों से ग्रामीण क्षेत्रों में वृद्ध, विद्यार्थी, दिव्यांग, किसानों को भी घर की चौखट तक बैंकिंग सेवाओं को प्रदान करने से सतत विकास में योगदान मिल रहा है और पूरा समाज लाभान्वित हो रहा है।