मौलाना शहाबुद्दीन (Image- Socail Media)
Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi on RSS: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात (एआईएमजे) के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बांग्लादेश में जारी सांप्रदायिक हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि कट्टरपंथी सोच रखने वाले लोगों ने शेख हसीना का तख्तापलट किया था। उनके मुताबिक, तख्तापलट के बाद से ही बांग्लादेश की स्थिति बेहद संवेदनशील बनी हुई है। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत हुआ था कि मोहम्मद यूनुस हालात संभाल लेंगे, लेकिन वह इसमें नाकाम रहे और कट्टरपंथी विचारधारा के समर्थक बनकर रह गए। वहीं, उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की सराहना करते हुए उन्हें एक अच्छा इंसान बताया।
उन्होंने कहा कि ढाका और कुम्हिला में जिस तरह की हिंसा हुई और अल्पसंख्यकों के साथ घटनाएं सामने आईं, वह पूरी दुनिया के लिए शर्मनाक है। उनका कहना था कि बांग्लादेश में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां प्रभावी हो चुकी हैं। इन एजेंसियों ने कट्टरपंथी संगठनों से गठजोड़ कर लिया है, जिसके कारण वहां हिंसा बढ़ रही है। यह सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरे मुस्लिम समाज के लिए चिंता का विषय है।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि वे प्रधानमंत्री से अपील करेंगे कि बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए उचित कदम उठाए जाएं। मोहन भागवत के बयान पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि हर कौम और हर संगठन अपने समाज को सुरक्षित रखने और एकजुट करने का प्रयास करता है। आरएसएस भी समाज और देशहित में काम करता है तथा अपने समाज को जोड़ने की दिशा में प्रयासरत है।
उन्होंने कहा कि पहले यह धारणा थी कि आरएसएस मुस्लिम विरोधी संगठन है, लेकिन मोहन भागवत ने स्पष्ट कर दिया है कि आरएसएस मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। उन्होंने दोहराया कि मोहन भागवत अच्छी सोच रखने वाले व्यक्ति हैं।
कन्हैया मित्तल के ‘लाहौर में भी अयोध्या बनाने’ वाले बयान पर उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक डायलॉग है। जब सरहदें सील हैं तो पाकिस्तान में अयोध्या बनाने की बात कैसे हो सकती है? उन्होंने इसे बेकार की बात बताया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की नीतियों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए, लेकिन ऐसा करने के बजाय भारत के मुसलमानों को औरंगजेब की औलाद कहकर गालियां दी जा रही हैं, जो कतई बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए।
हुमायूं कबीर के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में करीब छह महीने बाद चुनाव होने वाले हैं और वह चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी मस्जिद का नाम ‘बाबरी मस्जिद’ नहीं रखा जाना चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि अब मंदिर-मस्जिद की बहस नहीं होनी चाहिए। समय आ गया है कि विकास, तरक्की, व्यापार और शिक्षा पर बात की जाए। उनके अनुसार, हुमायूं कबीर के बयान से लगता है कि वह मुसलमानों के हित में काम करने के बजाय ममता बनर्जी को सत्ता से हटाने की कोशिश कर रहे हैं।
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जाकिर हुसैन पर टिप्पणी करते हुए मौलाना ने कहा कि मंदिर बनाने और मस्जिद का नामकरण करने की घोषणाएं ठीक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आजाद भारत में मुसलमान भी आजाद हैं, लेकिन बाबरी मस्जिद या मंदिर निर्माण जैसे बयानों से समाज में अनावश्यक विवाद पैदा होता है।