AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (फोटो- सोशल मीडिया)
कांवड़ यात्रा से पहले उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में दुकानों पर प्रशासन की सख्ती को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने योगी सरकार पर तीखा हमला बोला है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि दुकानदारों से जबरन नाम-पते के बोर्ड लगवाए जा रहे हैं और कुछ मामलों में उनसे पैंट तक उतरवाने की बात कही जा रही है। उन्होंने इसे पूरी तरह असंवैधानिक करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन बताया।
ओवैसी ने बुधवार को सोशल मीडिया पर सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रशासन की यह कार्यवाही सिर्फ एक वर्ग विशेष को निशाना बना रही है। उन्होंने कहा कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों के बाहर नाम और मोबाइल नंबर लिखवाने के आदेश पर रोक लगा दी थी। बावजूद इसके, अब दोबारा वही आदेश थोपे जा रहे हैं।
#WATCH | Hyderabad, Telangana: On some media reports of Dhaba owners on the Kanwar route at Delhi-Dehradun highway asked to open their pants to verify their religion, AIMIM chief Asaduddin Owaisi, says “There are several hotels near Muzaffarnagar highway running for several… pic.twitter.com/TP4FYwOmoT
— ANI (@ANI) July 2, 2025
किसी की पैंट उतरवाना कौन सी कानून व्यवस्था
ओवैसी ने कहा, “मुजफ्फरनगर में पुलिस और प्रशासन ने होटल मालिकों से आधार कार्ड मांगे हैं, दुकानों पर धर्म पूछा गया है, और कुछ से कथित रूप से पैंट उतरवाने की बात भी सामने आई है। क्या यही है कानून व्यवस्था बनाए रखने का तरीका?” उन्होंने कहा कि पहले भी कांवड़ यात्रा शांतिपूर्वक होती रही है, फिर इस बार प्रशासन इतने सख्त और भेदभावपूर्ण आदेश क्यों दे रहा है?
उन्होंने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाया और कहा कि पुलिस को उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जो दुकानदारों को परेशान कर रहे हैं, न कि खुद ही ऐसे कदम उठाने चाहिए जो डर पैदा करें।
प्रशासन की दलील: भक्तों को जानकारी देना जरूरी
वहीं प्रशासन ने साफ किया है कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर नेम प्लेट लगाने का निर्देश इसलिए दिया गया है ताकि शिवभक्तों को यह पता चल सके कि वे किस व्यक्ति की दुकान पर हैं। मुजफ्फरनगर के दिल्ली-देहरादून हाईवे 58 पर स्थित होटलों, ढाबों और रेस्टोरेंट्स को यह निर्देश दिया गया है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि यह आदेश सभी दुकानदारों पर समान रूप से लागू है और इसमें किसी भेदभाव का इरादा नहीं है।
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सियासत गरम, विपक्ष ने साधा निशाना
यह मुद्दा अब सियासी रंग ले चुका है। विपक्ष इस कार्रवाई को एकतरफा बता रहा है जबकि सरकार इसे सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए जरूरी कदम कह रही है। ओवैसी ने यह भी पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार क्यों ऐसे निर्देश दे रही है और धर्म पूछने का अधिकार किसे दिया गया है।