राम मंदिर में लगने वाले ध्वज में ॐ, सूर्य और कोविदार वृक्ष की फोटो, सोर्स- सोशल मीडिया
Ram Mandir Flag Importance: भगवान राम की नगरी अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र इन दिनों मंत्रों और जयश्रीराम के जयकारों से गुंजायमान है। धर्म-कर्म के बाद अब वह शुभ घड़ी आ गई है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान राम के भव्य मंदिर में धर्म ध्वजा फहराएंगे। राम मंदिर के शिखर पर जिस केसरिया रंग की धर्म ध्वजा को फहराया जाएगा, उसमें ॐ, सूर्यदेव और कोविदार वृक्ष का चित्र अंकित है।
राम मंदिर के ध्वज पर प्रत्यक्ष देवता सूर्य को स्वयं नारायण माना गया है। हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान राम सूर्यवंशी थे। यह सूर्यवंश सूर्य देवता के पुत्र वैवस्वत मनु से प्रारंभ हुआ था। मान्यता है कि जब अयोध्या में रामलला का जन्म हुआ था, तब सूर्य का रथ रुक गया था, जिसके कारण एक महीने तक रात नहीं हुई थी। रामायण में इस बात का उल्लेख है कि भगवान श्री राम ने रावण पर विजय प्राप्त करने से पहले, महर्षि अगस्त्य की सलाह पर सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना की थी।
सनातन परंपरा में ॐ को अत्यंत ही शुभ और पवित्र शब्द माना गया है। यह उन शुभ प्रतीकों में से एक है, जिसके प्रभाव से स्थान विशेष पर सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। हिंदू धर्म में प्रत्येक देवी-देवता के मंत्र के पहले इसका उच्चारण किया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, ॐ सिर्फ एक शब्द नहीं है, बल्कि इसमें पूरे ब्रह्मांड का ज्ञान समाहित है। जब ॐ को ईश्वर के सभी स्वरूपों का संयुक्त रूप मानकर उच्चारण किया जाता है, तो मन को आत्मिक शांति मिलती है और यह परमपिता परमेश्वर से जुड़ाव का सबसे सशक्त माध्यम है।
राम मंदिर की धर्म ध्वजा पर बने कोविदार वृक्ष का वर्णन पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। त्रेतायुग में, यह पावन वृक्ष अयोध्या का राजवृक्ष था और इसे उस समय ध्वज पर अंकित किया जाता था। एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब भरत सेना लेकर भगवान राम को वनवास से वापस बुलाने पहुंचे थे, तब लक्ष्मण ने उत्तर की ओर से आ रही सेना के ध्वज पर बने कोविदार वृक्ष को देखकर पहचान लिया था कि वह अयोध्या की सेना है।
कोविदार को पहला हाइब्रिड पेड़ माना जाता है, जिसे पौराणिक काल में कश्यप ऋषि ने पारिजात और मंदार को मिलाकर तैयार किया था। यह 15 से 25 मीटर ऊंचाई वाला पेड़ है, जिसमें बैंगनी रंग के फूल निकलते हैं। आयुर्वेद में भी कोविदार का काफी महत्व है।
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ध्वज निर्माता कश्यप मेवाड़ा ने बताया कि इस ध्वज को बनने में 25 दिन का समय लगा है। यह तीन-परत वाले स्वदेशी कपड़े से पूरी तरह हाथ से बनाया गया है। इसके किनारों पर गोल्डन फैब्रिक और ऊपर सिल्क के कपड़े का इस्तेमाल किया गया है। हाथ से ये सभी चिन्ह बनाने में 7-8 दिन का समय लगा।
प्रभु श्री राम भारतवर्ष की आत्मा, उसकी चेतना और उसके गौरव का आधार हैं। मेरे लिए यह परम सौभाग्य की बात है कि कल 25 नवंबर को सुबह करीब 10 बजे अयोध्या के दिव्य-भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर परिसर में दर्शन-पूजन का अवसर प्राप्त होगा। इसके बाद दोपहर लगभग 12 बजे श्री राम लला के पवित्र… — Narendra Modi (@narendramodi) November 24, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 नवंबर को अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराएंगे। इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए सभी विशेष तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मंदिर के लिए विशेष रूप से बनाए गए 22 फीट लंबे और 11 फीट चौड़े ध्वज के जरिए मंदिर के निर्माण कार्य की समाप्ति का संदेश प्रसारित किया जाएगा।इस कार्यक्रम के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर एक संदेश पोस्ट किया है।
पीएम मोदी ने लिखा, ”प्रभु श्री राम भारतवर्ष की आत्मा, उसकी चेतना और उसके गौरव का आधार हैं। मेरे लिए यह परम सौभाग्य की बात है कि कल 25 नवंबर को सुबह करीब 10 बजे अयोध्या के दिव्य-भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर परिसर में दर्शन-पूजन का अवसर प्राप्त होगा। इसके बाद दोपहर लगभग 12 बजे श्री राम लला के पवित्र मंदिर के शिखर पर केसरिया ध्वज के विधिवत आरोहण के ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनूंगा। यह ध्वज भगवान श्री राम के तेज, शौर्य और उनके आदर्शों के साथ-साथ हमारी आस्था, अध्यात्म और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।”