डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य व सीएम योगी आदित्यनाथ (सोर्स-सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में 400 पार का नारा देकर 300 के अंदर अटकी भाजपा के सीनें में अंगारे दहक ही रहे थे तभी 7 राज्यों की तेरह सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव के नतीजों ने उसमें पेट्रोल डाल दिया। इन उपचुनावों में भाजपा को केवल 2 सीटों पर जीत मिली जबकि विपक्षी गठबंधन 10 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रहा। बाकी की एक सीट पर निर्दलीय ने बाजी मारी। वहीं, अब उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। लेकिन उससे पहले केपी मौर्य और सीएम योगी के बीच तनातनी फिर से सामने आ रही है, जिसने सियासी पारा हाई कर दिया है।
उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इसमें गाजियाबाद, ख़ैर, मझवां, मीरापुर, कुंदरकी, करहल, कटेहरी और फूलपुर में सीट पर 2022 में चुने गए विधायक सांसद बनकर लोकसभा पहुंच गए हैं। वहीं दसवीं सीट कानपुर की सीसामऊ है, जो कि सपा विधायक इरफान सोलंकी की सदस्यता रद्द होने के बाद खाली हुई है।
ख़ास बात तो यह है कि इन 10 सीटों में से 5 सपा के खाते में थीं तो 5 बीजेपी के। लेकिन जिस तरह से लोकसभा चुनाव के नतीजे आए हैं उससे यह साफ है कि उपचुनाव में बीजेपी की राह आसान नहीं होने वाली है। दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के बीच शुरू हुई कथित तनातनी और मुश्किलें खड़ी करेगी।
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लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद भाजपा चाहेगी कि उपचुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन कर कार्यकर्ताओं में जोश भरे। लेकिन करहल सपा का गढ़ रहा है जहां उसकी दाल गलना मुश्किल है। इसके अलावा कुंदरकी और सीसामऊ मुस्लिम बाहुल्य सीटें हैं जहां सपा को मात देना बीजेपी के लिए नाकों चने चबाने जितना कठिन होगा।
वहीं अंबेडकर की कटेहरी सीट पर बीजेपी 1991 के बाद से दोबारा जीत नहीं दर्ज कर पाई है जिसका मतलब राह यहां भी आसान नहीं है। इसके बाद अयोध्या की मिल्कीपुर सीट आती है। जहां के विधायक अवधेश प्रसाद ने उस फैजाबाद सीट से लोकसभा का चुनाव जीता है, जहां से कोई आशा भी नहीं कर रहा था कि भाजपा हारेगी। ऐसे में यहां भी डगर कठिन होने वाली है।
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बात करें भाजपाई खेमे की मीरापुर सीट की तो यहां उसे अपनी सीट बचा पाना ही मुश्किल होगा। क्योंकि 2022 में यह सीट आरलडी से चंदन चौहान ने जीती थी। तब सपा-आरएलडी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। अब आरएलडी एनडीए का हिस्सा है। इस सीट पर सपा का भी मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट भी इस बार सपा ने जीती है। ऐसे में मीरापुर में एनडीए को जीत दर्ज करना राई का पहाड़ बनाने जैसा होने वाला है।
बाकी की चार सीटों खैर, गाजियाबाद, फूलपुर, मझवां में भाजपा का दबदबा रहा है वहां उसके लिए राह आसान होगी। लेकिन जिस तरह से प्रदेश कार्य समिति की बैठक के दौरान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद ने अपना दर्द बयां किया है। योगी आदित्याथ सरकार की कार्यशैली पर इशारों में सवाल उठाए हैं उससे हो सकता है कि वहां भी वोटर्स में ग़लत मैसेज जाए और मामला फिफ्टी-फिफ्टी हो जाए।