सीएम योगी (फोटो सोर्स-सोशल मीडिया)
UP Cough Syrup Case: उत्तर प्रदेश में कोडीन कफ सिरप मामले को लेकर गठित एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है। रिपोर्ट के अनुसार, कोडीन युक्त कफ सिरप 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए चिकित्सकीय रूप से प्रतिबंधित है।
एसआईटी रिपोर्ट में कहा गया है कि कफ सिरप स्वयं अवैध नहीं है, लेकिन ड्रग माफियाओं ने इसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया। माफियाओं ने नशे के उद्देश्य से कफ सिरप का भारी भंडारण किया और बिना डॉक्टर की पर्ची के बाजार में इसकी बिक्री के लिए डायवर्जन किया। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सुपर स्टॉकिस्ट से लेकर रिटेलर तक एक पूरी सप्लाई चेन बनाई गई थी। यूपी सरकार ने इसी नेटवर्क के खिलाफ देश का अब तक का सबसे बड़ा क्रैकडाउन अभियान चलाया।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि कफ सिरप के साथ-साथ यूपी सरकार ने सिडेटिव दवाइयों और स्लीपिंग पिल्स की अवैध बिक्री के खिलाफ भी सख्त अभियान चलाया। एसआईटी के मुताबिक, कफ सिरप की दवाइयां असली थीं और पूरा मामला अवैध डायवर्जन और गैरकानूनी बिक्री से जुड़ा हुआ है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत तमिलनाडु में बने नकली कफ सिरप के कारण हुई थी। केंद्र सरकार तमिलनाडु में बनी नकली कफ सिरप की जांच कर रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तमिलनाडु के कफ सिरप का मामला अलग है, लेकिन इसे लेकर उत्तर प्रदेश में भ्रम फैलाया गया।
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इससे पहले सीएम योगी ने विधानसभा में कोडीन सिरप से उत्तर प्रदेश में एक भी मौत दर्ज नहीं हुई है, जबकि इस तरह की मौतें तमिलनाडु में बने सिरप के कारण अन्य राज्यों में हुई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि एसटीएफ द्वारा पकड़े गए बड़े होलसेलरों को सपा सरकार के कार्यकाल में लाइसेंस दिए गए थे। सपा विधायक अतुल प्रधान द्वारा उठाए गए सवालों और उपमुख्यमंत्री के साथ आरोपी की फोटो दिखाने पर सीएम ने इसे ‘चोर की दाढ़ी में तिनका’ बताया।