CM योगी, अखिलेश यादव और राहुल गांधी
नवभारत डेस्क: 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को बड़ा झटका लगा था। बीजेपी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और अयोध्या की सीट पर भी कमल नहीं खिला। इसके बाद विपक्ष ने भाजपा को घेरते हुए कहा कि आने वाले चुनाव भी पीडीए के फॉर्मूले पर ही लड़ा जाएगा। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था।
बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले जातिगत जनगणना, पीडीए तथा संविधान बदलने की जो बातें विपक्ष ने उठाईं, उसका फायदा उनको मिला। खासकर यूपी में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन ने 43 सीटों पर जीत दर्ज की। समाजवादी पार्टी देश की तीसरी बड़ी पार्टी बनके उभरी। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद कहा जाने लगा कि बीजेपी अपने मतदाताओं को ये समझाने में नाकाम रही कि विपक्ष का नैरेटिव गलत है। साथ ही जातिगत जनगणना, पीडीए और संविधान परिवर्तन पर जो भ्रम फैला, उसकी वजह से भी हिंदू वोट में बिखराव देखने को मिला।
लोकसभा चुनाव के बाद विपक्ष के इस दांव की पहली अग्नि परीक्षा उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर थी और योगी आदित्यनाथ को भी ये साबित करना था कि विपक्ष की जीत सिर्फ एक तुक्का है, वहीं समाजवादी पार्टी के लिए जीत इसलिए भी जरूरी थी, जिससे वो यह साबित कर सके कि उसका पीडीए हिट फॉर्मूला है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने सपा तथा कांग्रेस के इस दांव को कुंद करने के लिए जो फार्मूला अपनाया, उसकी शुरुआत आगरा से हुई थी। योगी आदित्यनाथ ने हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने के लिए आगरा के एक कार्यक्रम में नारा दिया कि “बंटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो नेक रहोगे.” योगी का ये नारा सुपरहिट रहा। उन्होंने बांग्लादेश हिंसा का हवाला देते हुए इस नारे को यूपी विधानसभा के मॉनसून सत्र में भी खूब उठाया।
अब जब सभी पार्टियां 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारी में जुटे हैं, ऐसे में विपक्ष खासकर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव सरकार को महाकुंभ में अव्यवस्थाओं को लेकर लगातार हमलावर हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मौके को भी हथियार बना लिया और सोमवार को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सपा और अखिलेश यादव पर करारा हमला बोला।
उन्होंने कहा कि महाकुंभ को जिसने जिस नजर से देखा, उसको वैसा ही नजर आया। गिद्धों ने वहां लाश देखी, सुअरों ने गंदगी, लेकिन किसी ने सनातन धर्म की सुंदरता नहीं देखी। सीएम योगी ने कहा कि महाकुंभ में जाति का भेदभाव मिट गया और किसी ने किसी से उसकी जाति नहीं पूछी और यही बात विपक्ष को खटक रही है।
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मुख्यमंत्री के ये दोनों स्पीच इतने पावरफुल हैं कि वे विपक्ष के उस एजेंडे को तार-तार कर रहे हैं जिसमें उसकी कोशिश हिंदुओं को बांटने की है। दोनों ही भाषणों में उन्होंने सनातन के माध्यम से हिंदू मतदाताओं को एकजुट किया। इतना ही नहीं, पीएम मोदी ने भी सोमवार को भागलपुर दौरे पर भी महाकुंभ और सनातन पर सवाल उठाने वालों पर करारा प्रहार किया था। अब देखना होगा कि बीजेपी इन मुद्दों के साथ 2027 की रेस जीत पाती है या विपक्ष सत्ता से बाहर करने में सफल होता है।