बीएल संतोष नेपथ्य में अखिलेश यादव व साध्वी निरंजन ज्योति (डिजाइन फोटो)
UP BJP New President: राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा अध्यक्ष जगत प्रसाद नड्डा का उत्तराधिकारी की खोज भले ही अब तक सफल न हुई हो, लेकिन अब उत्तर प्रदेश में उसकी तलाश पूरी होती हुई दिखाई दे रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि पार्टी ने यूपी अध्यक्ष के लिए महिला फायरब्रांड नेता का नाम तय कर लिया है और राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले बीजेपी इसकी घोषणा कर सकती है।
बीजेपी की यूपी इकाई वर्ष 2026 में प्रस्तावित पंचायत और वर्ष 2027 में विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा फैसला लेने वाली है. इस बात को और बल तब मिला जब भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष प्रदेश सोमवार को प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंच गए।
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी की यूपी इकाई के अध्यक्ष को लेकर तकरीबन 1 साल से अधिक समय से चर्चा चल रही है। 2024 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के कुछ महीनों बाद से अध्यक्ष पद पर शुरू हुई चर्चा के बारे में दावा किया गया था कि महाकुंभ 2025 के पहले नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान कर दिया जाएगा।
इसके बाद अनऑफिशियल रिपोर्ट्स आईं कि यह अनाउंसमेंट संक्रांति 2025 के बाद किया जाएगा। लेकिन 29 जनवरी 2025 को महाकुंभ में हुई भगदड़ की वजह से पार्टी यह अनाउंसमेंट नहीं कर पाई। फिर पार्टी ने कथित तौर पर बिहार विधानसभा चुनाव के बाद घोषणा करने का फैसला किया। इस बीच पार्टी ने सांगठनिक प्रक्रिया जारी रखने के लिए जिला अध्यक्षों का ऐलान किया है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश बीजेपी यूनिट ने 14 जिलों के अध्यक्षों का ऐलान किया गया है। उत्तर प्रदेश के 98 सांगठनिक जिलों में से अब तक 84 के अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है, जो नया प्रदेश अध्यक्ष चुनने के लिए ज़रूरी कोरम से कहीं ज़्यादा है। अब माना जा रहा है कि स्टेट बीजेपी प्रेसिडेंट चुनने का प्रोसेस तेज़ी पकड़ेगा।
अब यह दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश बीजेपी यूनिट समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के PDA (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) गठजोड़ का मुकाबला करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष के पद पर कोई चौंकाने वाला फैसला ले सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, किसी ब्राह्मण या महिला को स्टेट बीजेपी यूनिट की कमान सौंपी जा सकती है। बीजेपी की तरफ से जारी जिला अध्यक्षों की लिस्ट देखें तो 84 में से 45 अपर कास्ट, 32 ओबीसी और 7 शेड्यूल्ड कास्ट के हैं। इसके ज़रिए बीजेपी जिलों में सपा के PDA का मुकाबला करने की कोशिश कर रही है।
यूपी में हर चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियां एक ऐसी कहानी बनाती हैं जिससे यह लगता है कि ब्राह्मण उत्तर प्रदेश से नाखुश हैं। इसका एक हालिया उदाहरण 2022 का चुनाव है। उस चुनाव में बीजेपी ने सरकार तो बनाई, लेकिन सीटों की संख्या 2017 के मुकाबले कम थी। बीजेपी को कई ब्राह्मण-बहुल सीटों पर कड़ी टक्कर मिली। अब 2027 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए, बीजेपी राज्य में ब्राह्मण अध्यक्ष चुन सकती है।
ब्राह्मणों के अलावा उत्तर प्रदेश में महिला अध्यक्ष चुनने की भी बात हो रही है। चर्चा है कि बीजेपी पूर्व सांसद साध्वी निरंजन ज्योति को यह जिम्मेदारी दे सकती है। इसके ज़रिए बीजेपी न सिर्फ महिलाओं बल्कि ओबीसी रिप्रेजेंटेशन और हिंदुत्व के मुद्दों को भी तेज करने के अपने इरादे का संकेत दे सकती है। अपनी शुरुआत से ही बीजेपी ने अपनी यूपी यूनिट को हेड करने के लिए कभी किसी महिला को अध्यक्ष नहीं बनाया है।
दरअसल, साध्वी का नाम तब चर्चा में आया जब बिहार में बीजेपी विधायक दल का नेता चुनने की प्रक्रिया के दौरान उन्हें को-ऑब्ज़र्वर बनाकर पटना भेजा गया था। तब से, दावे किए जा रहे हैं कि बीजेपी साध्वी को उत्तर प्रदेश में कोई अहम रोल दे सकती है।
यह भी पढ़ें: UP News: सपा के वोट कटे…तो कट जाएगा टिकट, अखिलेश यादव ने निकाला ‘SIR में गड़बड़ी’ का तोड़
राज्य में महिला प्रेसिडेंट चुनने की चर्चा इसलिए भी है क्योंकि बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने बीजेपी के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) को बहुत ज्यादा सपोर्ट दिया था। इसे देखते हुए बीजेपी पड़ोसी राज्य में महिलाओं को लुभाने के लिए महिला प्रेसिडेंट चुन सकती है।
इन सभी अटकलों और अंदाज़ों के बीच माना जा रहा है कि बीजेपी नए साल के बाद कभी भी अपने उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष का ऐलान कर सकती है। वहीं, अब बीएल संतोष के लखनऊ पहुंचने से इन चर्चाओं को आधार भी मिल रहा है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के लिए पिछले डेढ़ साल से कई अन्य नाम भी चर्चा का केंद्र रहे हैं।
असम के इंचार्ज और राज्य की बस्ती लोकसभा सीट से पूर्व सांसद हरीश चंद्र द्विवेदी को ब्राह्मण कैंडिडेट के लिए सबसे आगे माना जा रहा है। ओबीसी कम्युनिटी से योगी सरकार में मंत्री धर्मपाल सिंह, केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा और सांसद बाबूराम निषाद भी रेस में हैं। वहीं, अगर पार्टी किसी दलित को लीडरशिप देने का फैसला करती है, तो रामशंकर कठेरिया और एमएलसी विद्या सागर सोनकर भी रेस में हैं।