बांकेबिहारी ट्रस्ट विधेयक ध्वनि मत से पास, फोटो- सोशल मीडिया
Banke Bihari Mandir Trust Bill: उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र का तीसरा दिन बुधवार को सुबह 11 बजे से शुरू हुआ, जो गुरुवार सुबह 11 बजे तक लगातार चलेगा। इस दौरान कई अहम विधेयकों पर चर्चा हो रही है, जिनमें सबसे प्रमुख बांकेबिहारी ट्रस्ट विधेयक है। सदन में बीजेपी विधायकों की संख्या अधिक होने के चलते यह विधेयक ध्वनि मत से पास कर दिया गया। हालांकि, फिलहाल यह लागू नहीं होगा क्योंकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
बांकेबिहारी मंदिर, वृंदावन के प्रबंधन से जुड़ा यह मामला लंबे समय से विवादों में है। योगी सरकार की कैबिनेट ने पहले ही यह विधेयक पास कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था और एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित करने का आदेश दिया था। कोर्ट के निर्देश के अनुसार, जब तक कमेटी की रिपोर्ट और अंतिम आदेश नहीं आता, विधेयक लागू नहीं किया जा सकता।
मंगलवार को मानसून सत्र के दूसरे दिन भी सदन में जमकर हंगामा हुआ था। सपा विधायकों ने कई मुद्दों पर वेल में आकर नारेबाजी की। वहीं, योगी सरकार के मंत्री भी विपक्ष के आरोपों का कड़ा जवाब देते दिखे। इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच कई बार तीखी नोकझोंक हुई।
बांकेबिहारी ट्रस्ट विधेयक उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रस्तावित और लागू किया गया एक कानूनी ढांचा है। इसका उद्देश्य मथुरा के वृंदावन के प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन और प्रशासन को सुव्यवस्थित करना है। औपचारिक रूप से इसे “उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025” के नाम से जाना जाता है। इसको बाद में विधानसभा में विधेयक के रूप में पारित किया गया। ये विधेयक आज यानी 13 अगस्त 2025 को उत्तर प्रदेश विधानसभा में ध्वनि मत से पास हो गया।
अक्टूबर 2022: जन्माष्टमी के दौरान मंदिर में भारी भीड़ के बीच भगदड़ की घटना हुई, जिसमें कई श्रद्धालु घायल हो गए। इसके बाद सरकार ने भीड़ प्रबंधन और प्रशासनिक हस्तक्षेप बढ़ाने के संकेत दिए।
दिसंबर 2022: राज्य सरकार ने प्रस्ताव रखा कि मंदिर के संचालन के लिए एक ट्रस्ट बनाया जाए, जिससे भीड़ प्रबंधन, वित्तीय पारदर्शिता और विकास कार्यों में तेजी आए।
जनवरी 2023: मंदिर प्रबंधन समिति और स्थानीय श्रद्धालुओं के एक वर्ग ने इस कदम का विरोध करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उनका तर्क था कि परंपरागत व्यवस्था में सरकारी हस्तक्षेप धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
मार्च 2023: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से पूरे प्रस्ताव का मसौदा पेश करने को कहा और अंतिम आदेश तक यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए।
जुलाई 2023: सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर हुई, लेकिन शीर्ष अदालत ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापस भेजते हुए एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया।
अप्रैल 2024: कमेटी ने भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा और वित्तीय रिकॉर्ड में कई खामियों की ओर इशारा किया, लेकिन अंतिम सिफारिशें सार्वजनिक नहीं की गईं।
अगस्त 2025: योगी सरकार ने विधेयक को विधानसभा में पेश किया और ध्वनि मत से पास कराया, लेकिन कोर्ट के आदेश के चलते इसे लागू नहीं किया जा सका।
यह भी पढ़ें: आजादी की अनसुनी दास्तान: तिरंगे का असली निर्माता कौन? जानिए उस शिल्पकार की भूली-बिसरी गाथा
अब जबकि विधानसभा ने विधेयक को पास कर दिया है, अगला कदम कोर्ट के आदेश पर निर्भर करेगा। अगर इलाहाबाद हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलती है तो योगी सरकार इसे लागू कर सकती है। वहीं, विपक्ष ने इशारा किया है कि अगर सरकार जल्दबाज़ी में इसे लागू करने की कोशिश करती है तो वे कानूनी और राजनीतिक मोर्चे पर चुनौती देंगे।