मुस्लिम विवाह को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से इस्लाम में कई निकाह किए जाने को लेकर टिप्पणी की गई है। हाईकोर्ट ने कहा है कि इस्लाम कुछ परिस्थितियों और शर्तों के तहत एक से अधिक निकाह की इजाजत देता है लेकिन इस अनुमति का व्यापक स्तर पर दुरुपयोग किया जा रहा है।
न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने कहा कि इस्लाम के शुरुआती दौर में जंग में भारी संख्या में लोगों के हताहत होने के बाद विधवाओं और यतीमों के संरक्षण के लिए कुरान के तहत शर्तों के साथ एक से अधिक विवाह की अनुमति दी गई थी लेकिन इस प्रावधान का पुरुषों की ओर से निजी स्वार्थ के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है।
कोर्ट ने आठ मई 2025 को दिए निर्णय में एक मुस्लिम पुरुष की ओर से कई शादियां करने और भारतीय दंड संहिता की धारा 494 (द्विविवाह के अपराध) के तहत इनकी जटिलताओं के संबंध में कानूनी स्थिति भी स्पष्ट की। अदालत ने उन परिस्थितियों को भी स्पष्ट किया जिनमें धारा 494 लागू होगी या नहीं।
न्यायमूर्ति देशवाल ने कहा कि यदि एक मुस्लिम पुरुष इस्लामी कानून के तहत पहली शादी करता है तो उसकी दूसरी, तीसरी और चौथी शादी अमान्य नहीं होगी और दूसरी शादी के लिए धारा 494 लागू नहीं होगी, बशर्ते दूसरी शादी परिवार अदालत की ओर से ‘शरियत’ के तहत ‘बातिल’ यानी अमान्य घोषित न की गई हो।
अदालत ने कहा कि यदि एक व्यक्ति पहली शादी विशेष विवाह अधिनियम, 1954, विदेश विवाह अधिनियम, 1969, ईसाई विवाह अधिनियम, 1872, पारसी विवाह एवं तलाक अधिनियम, 1936 और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत की जाती है और वह मुस्लिम धर्म अपनाकर दूसरा विवाह मुस्लिम कानून के तहत करता है तो उसका दूसरा विवाह अमान्य होगा और धारा 494 के तहत अपराध की श्रेणी में आएगा।
अदालत ने यह आदेश फुरकान और दो अन्य व्यक्तियों की ओर से दायर एक याचिका पर पारित की। इन याचिकाकर्ताओं ने मुरादाबाद की एक अदालत की ओर से जारी समन और आरोप पत्र को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता फुरकान की पत्नी ने दावा किया था कि आरोपी ने पहले से शादीशुदा होने की बात छुपाकर उससे विवाह किया था। इसमें महिला ने फुरकान पर उसके साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि महिला ने संबंध बनाने के बाद अपनी इच्छा से याचिकाकर्ता के साथ शादी की और पुरुष के खिलाफ धारा 494 के तहत कोई अपराध नहीं बनता क्योंकि शरियत कानून, 1937 के तहत एक मुस्लिम पुरुष को चार बार तक शादी करने की अनुमति है।