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इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने दिया ‘स्किन टू स्किन’ जैसा फैसला, बोले- निजी अंग पकड़ना नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज राम मनोहर नारायण मिश्रा ने इसे अपराध की 'तैयारी' और 'वास्तविक प्रयास' के बीच का अंतर बताया और निचली अदालत द्वारा तय किए गए गंभीर आरोप में संशोधन का आदेश दिया।

  • By अभिषेक सिंह
Updated On: Mar 20, 2025 | 11:52 AM

इलाहाबाद हाईकोर्ट व जज राम मनोहर मिश्र (सोर्स- सोशल मीडिया)

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इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के ‘स्किन टू स्किन’ जैसा एक अजीबोगरीब फैसला दिया है। जिसमें कहा गया है कि नाबालिग लड़की के प्राइवेट पार्ट को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे घसीटने की कोशिश करना बलात्कार या बलात्कार की कोशिश नहीं है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज राम मनोहर नारायण मिश्रा ने इसे अपराध की ‘तैयारी’ और ‘वास्तविक प्रयास’ के बीच का अंतर बताया और निचली अदालत द्वारा तय किए गए गंभीर आरोप में संशोधन का आदेश दिया।

क्या है जज का आदेश?

जज ने कहा कि बलात्कार की कोशिश का आरोप लगाने के लिए यह साबित करना होगा कि मामला तैयारी से परे था। तैयारी और वास्तविक प्रयास में अंतर होता है। आरोपी आकाश पर पीड़िता को पुलिया के नीचे खींचने और उसकी डोरी तोड़ने का आरोप है। इस पर जज ने कहा कि लेकिन गवाहों ने यह नहीं कहा कि इससे पीड़िता के कपड़े उतर गए। न ही यह आरोप है कि आरोपी ने ‘पेनेट्रेटिव सेक्स’ करने की कोशिश की।’

क्या है पूरार मामला

आरोपी पवन और आकाश को कासगंज की एक अदालत ने आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और पोक्सो एक्ट की धारा 18 के तहत सुनवाई के लिए बुलाया था। पीड़िता के परिवार ने शिकायत की थी कि दोनों ने 2021 में लिफ्ट देने के बहाने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की थी। हालांकि, राहगीरों के आ जाने पर वे भाग गए।

यह था बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला

जनवरी 2021 में बॉम्बे हाईकोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला ने यौन उत्पीड़न के एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि नाबालिग पीड़िता के निजी अंगों को ‘त्वचा से त्वचा’ संपर्क के बिना छूना POCSO के तहत अपराध नहीं माना जा सकता। हालांकि, इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था।

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19 नवंबर 2021 पलट दिया फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के एक फैसले को पलटते हुए कहा कि किसी बच्चे के यौन अंगों को छूना या ‘यौन इरादे’ से शारीरिक संपर्क से जुड़ा कोई भी काम POCSO एक्ट की धारा 7 के तहत ‘यौन हमला’ माना जाएगा। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात इरादा है, न कि त्वचा से त्वचा का संपर्क।

Allahabad high court gave decision like bombay hc said touching private part and cord breaking is not rape

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Published On: Mar 20, 2025 | 11:52 AM

Topics:  

  • Allahabad High Court
  • Bombay High Court
  • Legal News
  • POCSO

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