महाराष्ट्र में कई शहर हैं जो काफी फेमस है जहां दुनियाभर से लोग घूमने आते हैं। इसी तरह नागपुर भी महाराष्ट्र की उपराजधानी के तौर पर जाना जाता है और यह राज्य का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। इस शहर को दुनियाभर में ऑरेंज सिटी के नाम से भी जाना जाता है।
नागपुर शहर का नाम सुनते ही मन में यह सवाल जरूर आता है कि इस जगह के नाम में ऐसा क्या खास है। दरअसल नागपुर नाम के पीछे छिपी है एक रोचक और ऐतिहासिक कहानी जो नाग नदी से जुड़ी हुई है। अक्सर नाम सुनकर यही लगता है कि यहां पर पहले नाग बहुत हुआ करते होंगे। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है।
नागपुर शहर का नाम यहां पर बहने वाली नाग नदी के नाम पर पड़ा है। नाग यहां बहने वाली नदी है जिसके साथ पुर जोड़ा गया। पुर का अर्थ गांव या शहर होता है। नागपुर शहर पहले किसी और नाम से जाना जाता है।
जानकारी के अनुसार नागपुर को पहले फनिपुर या फणीन्द्रपुरा के नाम से जाना जाता है। यह नाम मराठी भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ सांप का फन होता है। इतिहास के अनुसार इस शहर में पहले कभी नागफणी के जंगल हुआ करते थे। उस समय जंगलों में नाग बहुत ज्यादा होते थे।
नागपुर शहर की स्थापना 18वीं शताब्दी में की गई थी। नागपुर नाम अपने आप में अनोखा है जिसके पीछे की कहानी बहुत ही दिलचस्प है। नागपुर भारत में अपने मीठे और रसीले संतरों के लिए जाना जाता है। यहां से संतरे भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भेजे जाते हैं।
नागपुर के संतरों को साल 2014 में जीआई टैग मिला था। यहां मैंडरिन किस्म के संतरे भारत में सबसे प्रसिद्ध हैं। मैंडरिन संतरे विदर्भ क्षेत्र की सतपुड़ा पहाड़ियों में उगाए जाते हैं जिनका स्वाद खट्टा मीठा होता है। यहां संतरे की खेती सदियों से होती आ रही है।