Hindi news, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest Hindi News
X
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • धर्म
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • करियर
  • टेक्नॉलजी
  • हेल्थ
  • ऑटोमोबाइल
  • वीडियो
  • चुनाव

  • ई-पेपर
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • राजनीति
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • क्राइम
  • नवभारत विशेष
  • मनोरंजन
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़
  • वायरल
  • अन्य
    • ऑटोमोबाइल
    • टेक्नॉलजी
    • करियर
    • धर्म
    • टूर एंड ट्रैवल
    • वीडियो
    • फोटो
    • चुनाव
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • क्राइम
  • लाइफ़स्टाइल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • राजनीति
  • बिज़नेस
  • ऑटोमोबाइल
  • टेक्नॉलजी
  • धर्म
  • वेब स्टोरीज़
  • करियर
  • टूर एंड ट्रैवल
  • वीडियो
  • फोटो
  • चुनाव
In Trends:
  • Ganesh Chaturthi |
  • Tariff War |
  • Bihar Assembly Elections 2025 |
  • Weather Update |
  • Aaj ka Rashifal |
  • Share Market
Follow Us
  • वेब स्टोरीज
  • फोटो
  • विडियो
  • फटाफट खबरें

भगवान श्रीगणेश के भक्त का एक ऐसा अष्टविनायक मंदिर, यहां की रत्नजड़ित प्रतिमा में झलकती है खूबसूरती

गणेश चतुर्थी के अवसर पर भक्त गण प्रसिद्ध श्री गणेश के मंदिरों में दर्शन के लिए जाते है। आज ऐसे ही एक प्रसिद्ध गणेश मंदिर के बारे में आपको बताते है, जहां गणेश से पहले उनके अनन्य भक्त का नाम लिया जाता है और उन्हें पूजा जाता है। तभी गणेश की पूजा पूरी मानी जाती है।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Sep 12, 2024 | 04:00 PM

बल्लालेश्वर मंदिर (सौजन्य-एक्स)

Follow Us
Close
Follow Us:

नवभारत डेस्क: आज हम आपको श्री गणेश के उस मंदिर के बारे में बताने जा रहे है, जहां गणेश जी के पहले उनके भक्त का नाम लिया जाता है। इस मंदिर का नाम है – बल्लालेश्वर मंदिर जो भक्त को समर्पित है। इस मंदिर में गणेश श्रद्धालुओं के दुख हरने आते है। इस गणेश चतुर्थी इस गणेश मंदिर के दर्शन करने जरूर जाए।

बल्लालेश्वर पाली हिंदू भगवान गणेश के आठ मंदिरों में से एक है। गणेश मंदिरों में, बल्लालेश्वर एकमात्र ऐसा मंदिर है जो गणेश को तो समर्पित है, लेकिन इसे उनके भक्त के नाम से जाना जाता है। यह बल्लालेश्वर मंदिर पाली गांव में स्थित है जो भारत के महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में रोहा से 28 किमी दूर है। यह सरसगढ़ किले और अंबा नदी के बीच स्थित है ।

बल्लालेश्वर की रत्नजड़ित मूर्ति

विनायक की मूर्ति एक पत्थर के सिंहासन पर बैठी है, जिसका मुख पूर्व की ओर है और सूंड बाईं ओर मुड़ी हुई है और वह चांदी की पृष्ठभूमि के सामने बैठी है जिस पर ऋद्धि और सिद्धि चमरज लहराते हुए दिखाई दे रही हैं। मूर्ति की आंखों और नाभि में हीरे जड़े हुए हैं। इस मंदिर को इस तरह से बनाया गया है कि सूरज की पहली किरण सीधे मंदिर की मूर्ति पर पड़ती है।

बल्लालेश्वर मंदिर (सौजन्य-एक्स)

इस मंदिर से जुड़ी दंतकथा

इस मंदिर को लेकर एक दंत कथा काफी प्रसिद्ध है। पाली गांव में कल्याण नाम का सफल व्यापारी अपनी पत्नी इंदुमती और बेटे बल्लाल के साथ रहता था। उनका बेटा और गांव के बच्चे पत्थरों को मूर्तियों के रूप में पूजा करते थे। एक बार गांव के बाहरी इलाके में बच्चों को एक बड़ा पत्थर दिखा जिसे बल्लाल के आग्रह पर बच्चे पूजने लगे और समय का सूध-बूध खो बैठे।

गांव में जब बच्चे वापस नहीं आए कल्याण ने एक छड़ी ली और बच्चों की तलाश में निकले बच्चों को उन्होंने पत्थर के सामने गणेश पुराण गाते सुना। तब गुस्से में कल्यण ने मूर्ती तोड़ दी और बल्लाल को बहुत मारा जब तक कमीज खून से न रंग गई और बल्लाल को एक पेड़ से बांध कर चले गए और कहा- “अब देखते हैं कौन सा भगवान तुम्हारी रक्षा करता है!”

श्री गणेश ने दिया वरदान

गणेश के अपमान के लिए बल्लाल ने पिता को श्राप दिया और नाम जपने लगे जब तक वे बेहोश नहीं हो गए। जागने के बाद बल्लाल ने गणेश को पुकारा तो गणेश स्वयं साधु के भेस में मदद करने आए और उन्हें पेड़ से खोल दिया। गणेश को देखते ही उनकी भूख – प्यास मिट गई, घाव भर गए। गणेश ने उनकी भक्ति देख उनसे वरदान मांगने को कहा, तो बल्लाल ने विनती कि, हे गणेश मै आपका अटूट भक्त हूं। मै चाहता हूं कि आप हमेशा इस स्थान पर रहे और आपकी शरण में आने वाले लोगों के दुखों को दूर करें।”

यह भी पढ़ें- इस गणेश चतुर्थी जरुर जाएं गणेश टेकड़ी, नागपुर में स्थित इस मंदिर का 300 साल पुराना है इतिहास

भक्त के बाद लिया जाता है श्री गणेश

उनकी विनती गणेश ने सुनी और कहा कि “मैं हमेशा यहीं रहूंगा और अपने नाम से पहले तुम्हारा नाम लूंगा, और बल्लाल के भगवान (बल्लाल ईश्वर) के रूप में पूजा जाऊंगा।” उन्होंने बल्लाल को गले लगाया और पास के पत्थर में खुद को स्थापित कर लिया। उस टूटे पत्थर की दरारें गायब हो गईं और फिर से पूरी तरह से बन गईं।

आज उसी पत्थर की मूर्ति को बल्लालेश्वर कहा जाता है। कल्याण ने जिस पत्थर की मूर्ति को जमीन पर फेंका था, उसे धुंडी विनायक के नाम से भी जाना जाता है। यह एक स्वयंभू मूर्ति है और बल्लालेश्वर की पूजा से पहले इसकी पूजा की जाती है।

यह भी पढ़ें- विदेशी करते है गणेश जी की इन प्रतिमाओं को नमन, भारत में नहीं बल्कि इस देश में मिलेगी ये मूर्तियां

इस गणेश चतुर्थी अगर आप बाप्पा के दर्शन करने जा रहे है तो एक बार रायगढ़ पाली में स्थित इस मंदिर में दर्शन करने जरूर जाए।

 

Ballaleshwar the only temple dedicated to ganesha devotee ballal

Get Latest   Hindi News ,  Maharashtra News ,  Entertainment News ,  Election News ,  Business News ,  Tech ,  Auto ,  Career and  Religion News  only on Navbharatlive.com

Published On: Sep 12, 2024 | 04:00 PM

Topics:  

  • Ganesh Chaturthi
  • Ganesh Utsav

सम्बंधित ख़बरें

1

पुणे में श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति का विसर्जन, उमड़ी भक्तों की भीड़

2

ढोल-नगाड़े और गुलाल, गणपति बाप्पा को विदाई देने बारिश में थिरके मुंबईकर, 18000 मूर्तियां विसर्जित

3

ठाणे में गणेश विसर्जन के दौरान बड़ा हादसा, 5 लोग नदी में डूबे, 1 की मौत, दो लापता

4

देशभर में श्रद्धालुओं ने गणपति बप्पा को दी विदाई, देखें शानदार तस्वीरें

Popular Section

  • देश
  • विदेश
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़

States

  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्यप्रदेश
  • दिल्ली NCR
  • बिहार

Maharashtra Cities

  • मुंबई
  • पुणे
  • नागपुर
  • ठाणे
  • नासिक
  • अकोला
  • वर्धा
  • चंद्रपुर

More

  • वायरल
  • करियर
  • ऑटो
  • टेक
  • धर्म
  • वीडियो

Follow Us On

Contact Us About Us Disclaimer Privacy Policy
Marathi News Epaper Hindi Epaper Marathi RSS Sitemap

© Copyright Navbharatlive 2025 All rights reserved.