इस किले में भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं अश्वत्थामा!, रोमांचक होगी यात्रा
Asirgarh Fort: आजकल पर्यटक ऐसी जगहों पर जाना पसंद करते हैं जिसके साथ कुछ मान्यताएं जुड़ी रहती हैं। यह जगह पर्यटकों बहुत ही रोमांचक लगती है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे किले के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका इतिहास और मान्यताएं आपको हैरान कर देगी। दरअसल मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में असीरगढ़ किला स्थित है जो 14वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह करीब 60 एकड़ में फैला हुआ है जिसमें 5 तालाब हैं जो आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे। इस किले को एक बार जरूर घूमने जाएं।
मान्यता के अनुसार महाभारत के बाद अश्वत्थामा की आत्मा करीब पांच हजार साल तक इसी किले में भटकती रही थी। जिसकी वजह से यह पर्यटकों के बीच लोकप्रिय स्थल बन गया है। अश्वत्थामा भगवान शिव की पूजा करने के लिए मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में असीरगढ़ किले में आते हैं, क्योंकि यह किला उनके द्वारा भगवान शिव की पूजा के लिए निर्दिष्ट स्थान माना जाता है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि वे शिव की पूजा करने के लिए यहां आते हैं। माना जाता है कि महाभारत के अश्वत्थामा नियमित रूप से किले के परिसर में स्थित मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने के लिए आते हैं।
कहा जाता है कि आज भी अमावस्या और पूर्णिमा के दिन किले में स्थित गुप्तेश्वर मंदिर में अश्वत्थामा भगवान शिव की पूजा करने के लिए आते हैं। बता दें कि असीरगढ़ का किला तीन हिस्सों में बंटा हुआ है। इस किले का नाता मुगल काल से है। जानकारी के मुताबिक साल 1601 में मुगल शासक अकबर ने इस पर कब्जा किया था। इसके अलावा यह ऐतिहासिक किला चौहान वंश और बहादुर शाह फारुखी के अधीन रह चुका है। यह किला अपने रहस्यमयी इतिहास, वास्तुकला और रणनीतिक महत्व की वजह से जाना जाता है। इस किले को दक्षिण का द्वार और दक्कन की कुंजी भी कहा जाता है।
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अगर आप मध्य प्रदेश के इस शानदार किले को करीब से देखना चाहते हैं तो इसके लिए आपको बुरहानपुर जाना होगा। यहां से यह करीब 20 किमी की दूरी पर स्थित है। बुरहानपुर से आप टैक्सी या निजी वाहन की मदद से पहुंच सकते हैं।